राजस्थान में 7 सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए बीजेपी ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है, लेकिन पार्टी को अपने  ही नेताओं की ओर से बगावत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे सभी नेता पार्टी से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे लेकिन अब बागी बनकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। राजस्थान में 13 नवंबर को 7 सीटों के लिए मतदान होगा और नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। 

किसने की है बगावत?

झुंझुनू में भाजपा की ओर से  2023 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे बबलू चौधरी उर्फ ​​निशीत कुमार ने बगावत करते हुए 23 अक्टूबर को नामांकन पत्र दाखिल करने और निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है, वह तब चुनाव हार गए थे। रविवार को जब उनके आवास पर सैकड़ों समर्थक एकत्र हुए तो उन्होंने कहा कि वे जो कहेंगे, वही करेंगे और वे कुछ भी करने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें निराश नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा, “अगर झुंझुनू में कमल खिलना है तो वह बबलू चौधरी के जरिए ही खिलेगा, वरना भूल जाइए।” समर्थकों के समर्थन के बाद उन्होंने अपनी उम्मीदवारी की घोषणा कर दी। उनकी बगावत पहली बार सामने नहीं आई है। 2018 में भाजपा ने राजेंद्र सिंह भांबू को मैदान में उतारा था और बबलू बगावत करके कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह ओला और भांबू के बाद तीसरे नंबर पर रहे थे। 2023 में भाजपा ने भांबू को हटाकर बबलू को मैदान में उतारा; भांबू ने बगावत करके निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन ओला और बबलू के बाद तीसरे नंबर पर रहे। इस बार बीजेपी ने बबलू का टिकट काट कर भांबू को मैदान में उतारा है।

रामगढ़ में भाजपा के 2023 के उम्मीदवार जय आहूजा ने भी बगावत कर दी है। अपने आवास पर अपने समर्थकों की बैठक बुलाकर आहूजा ने उनके सामने अपनी बात रखी है। झुंझुनू की तरह रामगढ़ में भी भाजपा ने 2023 के बागी सुखवंत सिंह को मैदान में उतारा है। 2023 में सुखवंत ने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के जुबैर खान के बाद दूसरे नंबर पर रहे थे, जबकि आहूजा तीसरे नंबर पर रहे थे।

रविवार को आहूजा ने कहा, ‘भाजपा ने एएसपी से चुनाव लड़ चुके सुखवंत सिंह को मैदान में उतारा है। उनके (2023) चुनाव के दौरान खूब दुष्प्रचार किया गया और खूब झूठ बोला गया। पार्टी नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया और पार्टी के झंडे जलाए गए। ऐसे लोगों को पार्टी ने अब पुरस्कृत किया है, जिन्होंने पार्टी के साथ विश्वासघात किया है, यह उचित नहीं है।’

आहूजा के समर्थन में पार्टी के कई स्थानीय नेताओं के इस्तीफे के बाद उन्होंने अपनी उम्मीदवारी पर अंतिम फैसला लेने के लिए मंगलवार को महापंचायत बुलाई है।

पानी की टंकी पर चढ़ गए विजय बैंसला के समर्थक

देवली उनियारा विधानसभा में विजय बैंसला के समर्थक रविवार को पानी की टंकी पर चढ़ गए और बैंसला को टिकट देने की मांग की। 2023 में बैंसला कांग्रेस के हरीश मीना से हार गए थे। अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) में आने वाले गुज्जर समुदाय के नेताओं ने भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को पत्र लिखकर बैंसला को पार्टी का टिकट देने की अपील की है। उनका कहना है कि चुनाव हारने के बावजूद बैंसला क्षेत्र के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उन्हें टिकट न देना पार्टी के लिए ‘आत्मघाती’ होगा। उन्होंने यह भी धमकी दी है कि अगर बैंसला को टिकट नहीं दिया गया तो अति पिछड़ा वर्ग हर जिले और ब्लॉक में भाजपा का विरोध करेगा।

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सलूम्बर विधासभा में अपने समर्थकों से घिरे रोते हुए नरेंद्र मीना का वीडियो वायरल हुआ है। भाजपा विधायक अमृत लाल मीना के निधन के बाद मीना टिकट की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने अमृत लाल मीना की पत्नी शांता देवी मीना को मैदान में उतारा है। वायरल वीडियो में नरेंद्र मीना को यह कहते हुए सुना गया कि वह 20 साल से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनसे बात की और वह उन बातों को अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के सामने साझा करेंगे। हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह दौड़ से बाहर होंगे या नहीं, लेकिन अब उम्मीद है कि वह मंगलवार को अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे और शांता देवी का समर्थन करेंगे।