एमके स्टालिन ने अपने पिता करुणानिधि के पार्थिव शरीर को दफनाने और एक स्मारक बनाने के लिए चेन्नई के सबसे मशहूर मरीना बीच पर जगह मांगी थी। हालांकि एआईएडीएमके सरकार ने इसके लिए गांधी मंडपम को वैकल्पिक जगह के तौर पर दिया। डीएमके और करुणानिधि के समर्थक इससे खुश नहीं थे। आखिरकार मरीना बीच पर करुणानिधि के पार्थिव शरीर को दफनाने और उनका स्मारक बनाने के लिए मद्रास हाईकोईट में याचिकाएं दायर हुईं, जिस पर स्टालिन और समर्थकों की मांग पूरी हुई। लेकिन बड़ा सवाल यह है करुणानिधि को जलाने के बजाय दफनाया क्यों गया? करुणानिधि ने द्रविड़ आंदोलन के सभी बड़े नेताओं की तरह खुद को नास्तिक माना था। आखिरी क्रिया-कर्म के लिए व्यापक तौर पर यह माना जाता है कि जिंदा रहते हुए शख्स का जो भी धार्मिक मत रहा हो, उसी के अनुसार उसका संस्कार होना चाहिए। अपवादों को छोड़कर देखा जाए तो हिंदुओं का दाह-संस्कार होता है, जबकि मुस्लिमों और ईसाइयों में दफनाने की प्रथा है।

नास्तिक का अंतिम संस्कार आम तौर पर उसके परिवार और समुदाय के द्वारा अपनाई गई प्रथा के अनुसार होता है। करुणानिधि ने यह स्वीकारा था कि वह तमिलनाडु की इसाइ वेल्लालर जाति (Isai Vellalar caste) से ताल्लुक रखते थे। यहां इसाइ का मतलब होता है ‘संगीत’ और वेल्लालर मतलब मोटे तौर पर कृषि से संबंधित होता है। जातियों के वर्तमान वर्गीकरण के मुताबिक इसाइ वेल्लालर को पिछड़ी जाति के रूप में माना जाता है। ऐतिहासिक तथ्य इशारा करते हैं कि इसाइ वेल्लालर का संबंध शैव मत के एक रूप से हैं और जनेऊ पहनने वालों से भी, जो बताता है कि इस जाति का पुराना ब्राह्मणवादी नाता भी रहा है। करुणानिधि हालांकि जस्टिस पार्टी के नेता पेरियार के ब्राह्मण विरोधी आंदोलन में शामिल हो गए थे। जब वह जस्टिस पार्टी के आंदोलन में शामिल हुए तब महज 14 वर्ष के थे।

द्रविड़ आंदोलन के संस्थापक पेरियार नास्तिक थे। उन्होंने घोषणा कर दी थी कि कोई भगवान नहीं है। करुणानिधि पेरियार के फॉलोवर के तौर पर मशहूर थे, पेरियार को ही मानने वाले सीएन अन्नादुरई उनके मेंटर बने। पेरियार और अन्नादुरई दोनों के पार्थिव शरीरों का दाह-संस्कार नहीं हुआ था, उन्हें दफनाया गया था। पेरियार को हालांकि चेन्नई में अलग दफनाया गया था, अन्नादुरई को मरीना बीच पर दफनाया गया था। मरीना बीच पर राजनेताओं को दफनाए जाने का महत्वपूर्ण राजनीतिक संबंध है। करुणानिधि को मिलाकर यहां तमिलनाडु के चार दिवंगत मुख्यमंत्रियों के पार्थिव शरीरों को दफनाया गया। इनमें सीएन अन्ना दुरई, एमजी रामचंद्रन, जे जयललिता और करुणानिधि के नाम शामिल हैं।