बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को जदयू अध्यक्ष बना दिया है। आरसीपी के नाम से मशहूर पूर्व आईएएस अफसर पार्टी में लंबे समय से नंबर दो की हैसियत के नेता माने जाने जाते थे।
अब औपचारिक तौर पर वह नंबर एक और पार्टी में नीतीश कुमार के बॉस हो गए हैं। आरसीपी जब नीतीश कुमार के संपर्क में पहली बार आए थे, तब कुमार उनके बॉस हुआ करते थे। कुमार रेल मंत्री थे और आरसीपी उनके निजी सचिव। जब 2005 में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी को प्रमुख सचिव भी बनाया था। नीतीश के रेल मंत्री के दिनों से ही दोनों का साथ बना रहा। आरसीपी को जदयू में भी एक दशक से ज्यादा हो गया।
आरसीपी सिंह पार्टी की हर गतिविधि पर नजर रखते थे और नीतीश बिना उनकी सलाह के शायद ही काम करते थे। ऐसे में उनका पार्टी अध्यक्ष बनना हैरान करने वाली बात नहीं है। वैसे, आरसीपी जमीनी नेता नहीं रहे ।2010 में सिंह ने स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया था।
उन्हें राज्यसभा के लिए नामित कर दिया गया। 2016 में पार्टी ने उन्हें फिर राज्यसभा भेजा। जदयू में उनकी तरक्की सिर्फ और सिर्फ नीतीश की करीबी का ही परिणाम है। वह शुरू से नीतीश के ‘क्राइसिस मैनेजर’ माने जाते हैं, उनकी जाति (कुर्मी) और गांव के भी हैं।
जदयू में प्रशांत किशोर की एंट्री और उन्हें सीधे उपाध्यक्ष बनाए जाने के पीछे भी आरसीपी का ही दिमाग माना जाता है। हालांकि, यह दावं सही साबित नहीं हुआ और जल्द ही जदयू व प्रशांत किशोर की राहें जुदा हो गईं। कहा जाता है कि नीतीश कुमार ने जब मोदी कैबिनेट से जदयू को अलग रखने का फैसला लिया था तो आरसीपी के ही चलते।
भाजपा का कहना था कि जदयू का एक कैबिनेट मंत्री होगा, लेकिन नीतीश कुमार आरसीपी सिंह और राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को मंत्री बनाना चाहते थे।