पुलिस जब थाने को ही मयखाना बनाने लगे तो फिर दिल्ली का भगवान ही मालिक है और वह भी तब जब 15 अगस्त की सुरक्षा व्यवस्था सिर पर हो। शुक्रवार देर रात दिल्ली के एक थाने में इसी प्रकार का मामला सामने आया। लेकिन गनीमत रही कि इस हरकत का विरोध थाने के ही एक दरोगा ने कर दिया। दरअसल दरोगा को शराब के नशे में एसएचओ ने गाली गलौज कर दी और मामला पुलिस के हाथ से निकल गया। दरोगा ने पीसीआर को फोन कर एसएचओ को सस्पेंड करा दिया।

खाता बंद, बवाल चालू

ट् िवटर पर खाता बंद होने को लेकर बीते दिनों जमकर बवाल मचा। देश की सबसे पुरानी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का ट्विटर खाता बंद होने के बाद उसी पार्टी के दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष और एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी निशाने पर आ गए। ट्विटर ने उनका खाता भी बंद कर दिया। फिर क्या था, पार्टी के पदाधिकारियों, नेताओं और कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ दी और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताया। पर वहीं नेता और पदाधिकारी उन दिनों इसी प्रकार की कार्रवाई को ठीक ढहरा रहे थे, जब विरोधी दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर ट्विटर ने कार्रवाई की थी। खैर राजनीति इसी का कहा जाता है। खुद पर बन आए तो विरोध और दूसरों के साथ हो तो जायज ठहराना।

सिरसा का ‘अचार’

कई बार विषयवस्तु या भाषा का कम ज्ञान नेताओं को उहा-पोह की स्थिति में ला खड़ा करता है। कुछ ऐसा ही हुआ दिल्ली गुुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ। दरअसल सिरसा अपने लोगों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। विषय था एक अस्पताल को शुरू करने की घोषणा का। जबकि गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव को लेकर इन दिनों चुनावी आचार संहिता लगी हुई है। नियम के मुताबिक कोई भी लुभावन घोषणा नहीं होनी चाहिए। इसी पर एक संवाददाता ने सिरसा से ‘आचारसंहिता’ का हवाला देकर सवाल पूछ डाले। मीडिया जानना चाहती थी कि सालों से लटके इस प्रोजेक्ट पर चुनाव के समय ही घोषणा क्यों? लेकिन नेताजी आचारसंहिता को ‘अचार’ संबंध बैठे। सवाल पर सिरसा ने कहा, ‘इस मौके से ‘अचार’ का क्या संबंध!’ कहना गलत न होगा कि नेताजी जो दिल्ली के पूर्व विधायक भी हैं सवाल को खाने वाले आचार से जुड़ा सबंध बैठे थे। उन्हें जब इसका अंग्रेजी तजुर्मा ‘इलेक्शन कोड आॅफ कंडक्ट’ बताया गया तो वे सहमें! फिर सफाई दी। लेकिन तब तक कॉन्फ्रेंस हॉल में ठहाके लग चुके थे।

प्रचार पड़ा महंगा

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के कार्यकाल में नेता और अफसरशाही के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है। लेकिन औद्योगिक महानगर में हाल ही में नोएडा प्राधिकरण की तरफ से बगैर अनुमति के प्रचार करने को लेकर लगाया गया जुर्माना इन दिनों लोगों के बीच चर्चा का मुद्दा बन गया है। हाल ही में दिल्ली के एक नामचीन खाद्यपदार्थ की चेन ने सेक्टर-51 में अपना नया केंद्र (आउटलेट) खोला है। इसके शुभारंभ को लेकर शहर की तमाम सड़कों पर लगे खंबों और बैनरों पर बाकायदा प्रचार किया गया है। जिसमें प्रधानमंत्री से लेकर गौतम बुद्ध नगर सांसद, नोएडा विधायक, भाजपा महानगर अध्यक्ष, सांसद प्रतिनिधि समेत कई अन्य नेताओं को फोटो लगी है। सत्ताधारी दल के नेताओं की फोटो लगी होने से यह माना जा रहा था कि प्राधिकरण के अधिकारी बगैर अनुमति के प्रचार करने को लेकर इन्हें उतरवाने या जुमार्ना लगाने की हिम्मत नहीं दिखाएंगे। जबकि हकीकत में इससे उलट हुआ। प्राधिकरण ने संबंधित प्रतिष्ठान पर बगैर अनुमति के प्रचार करने को लेकर करीब साढ़े चार लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। तमाम समाचार पत्रों समेत मामले के मीडिया में आने के बाद सत्ताधारी दल के नेता एक दूसरे से नजर बचा रहे हैं।
-बेदिल