राजस्थान के राजसमंद जिले में बाल विवाह से पीड़िता ने जब पढ़ने की इच्छा जताई तो पंचायत ने उसके परिवार का बहिष्कार कर दो लाख रुपए का जुर्माना ठोक दिया। बाल विवाह पीड़िता सुखी अहीर पढ़ना चाहती हैं और उसके ससुराल वालों को यह पसंद नहीं था। उसके ससुराल वाले चाहते थे कि वह घर में चूल्हा-चौका करे। इस मामले में पुलिस के दखल के बाद पंचायत ने बहिष्कार की बात को गलत बताया।
क्या है पूरा मामलाः बता दें कि राजसमंद के रेलमगरा उपखंड की सुखी अहीर की शादी करीब 10 साल की उम्र में 2005 में हुई थी। ससुराल में जाने के बाद भी वह अपनी पढ़ाई बंद नहीं की और ग्रेजुएशन को पूरा किया। लेकिन उसके ससुराल वालों ने उसे आगे पढ़ाई करने से यह कहकर रोका कि उसे अब चूल्हा-चौका करना चाहिए। बता दें कि सुखी के परिवार वालों ने जब उसके फैसले का साथ दिया, तो उसके ससुराल वालों ने पंचायत का सहयोग लिया। वहीं इस मामले में फैसला सुनाते हुए पंचायत ने उसके ससुराल और मायके वालों का समाज से ही बहिष्कार कर दिया।
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ससुराल वालों ने प्रताड़ित कर उसे घर से निकालाः सुखी ने जब ग्रेजुएशन के आगे पढ़ने की जिद की तो उसके ससुराल वालों ने उसे प्रताड़ित कर घर से निकाल दिया। इसके बाद उसने तलाक की मांग कर दी। बता दें कि इसके बाद युवती के पिता गोपीलाल बीमार पड़ गए और उनका इलाज जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में हो रही है।
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पंचायत ने सुनाया कठोर फैसलाः बता दें कि सुखी अहीर मामले में पंचायत ने फैसला सुनाते हुए दोनों परिवारों का बहिष्कार करने की बात कही और दो लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। मामला जब पुलिस तक पहुंचा तो पंचायत के उपाध्यक्ष लक्ष्मण अहीर ने परिवार के बहिष्कार वाली बात को गलत ठहरा दिया।