भागलपुर स्मार्ट सिटी कब बनेगी इसका पक्की तौर पर कोई अधिकारी बताने की हालत में नहीं है। मगर चर्चा करने से ये नहीं चूकते। चाहे कमिश्नर , ज़िलाधीश या नगर आयुक्त कोई हो। यहां बताना जरूरी है कि भागलपुर को स्मार्ट सिटी बनाने का ऐलान केंद्र सरकार ने करीब तीन साल पहले पहली सूची में ही किया था। मगर काम कुछ भी नहीं हुआ। दिलचस्प बात कि सरकारी सूत्र बताते है कि 370 करोड़ रुपए आकर पड़े है। थोड़ा बहुत सड़क पर स्मार्ट शौचालय बनाने , डस्टबिन लगाने का काम हुआ भी तो सब सालभर में ही उखड़ गए। सड़कें कचरे से एक हद तक पटी है। गंदगी का अंबार लगा है। कूड़ा जितना उठता नहीं उससे कहीं ज्यादा सड़कों पर बिखरा रहता है।

भागलपुर डिवीजन के आयुक्त राजेश कुमार कहते है कि स्मार्ट सिटी में पहले चरण में होने वाले चार मुख्य कामों के टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। खुशी की बात यह है कि देश की नामी गिरामी बड़ी कंपनियां यहां काम करने की दिलचस्पी टेंडर डाल कर जताई है। आयुक्त शुक्रवार को अपने दफ्तर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी। मगर उनसे पत्रकारों के पूछे गए चौपट यातायात, शहर में गंदगी और संक्रमण बीमारियों , हवाई अड्डे बगैरह सवालों के जवाब पर उन्होंने चुप्पी साधे रखी।

वे बोले कि स्मार्ट सिटी के तहत सबसे पहले कमांड एंड कंट्रोल का काम होगा। इसके पूरा होने से कानून-व्यवस्था की निगरानी बेहतर तरीके से की जा सकेगी। ठोस कचरा निष्पादन पर भी नियंत्रण व निगरानी का काम हो सकेगा। कमांड ऐंड कंट्रोल का भवन नगर निगम के बगल वाली जमीन पर बनाने का प्रस्ताव है। जो तीन मंजिला और तमाम जरूरी सुविधाओं से लैश होगा।

इसके अलावे शहर में स्मार्ट रोड, सोलर लाइट और ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट बनाने की योजना बन चुकी है। जिसका काम नवंबर से दिखना शुरू हो जाएगा। बाईपास का काम भी करीबन पूरा है। 155 मीटर जमीन अधिग्रहण की दिक्कत को भी सुलझा लिया गया है। उम्मीद है दिसंबर तक यह काम भी पूरा हो जाएगा। आयुक्त ने बताया कि मुंगेर वाया भागलपुर से मिर्जाचौकी 91 किलोमीटर की सड़कें फॉर लेन बनने की सभी बाधाएं दूर कर ली गई है। इस सड़क को नेशनल हाईवे ऑथिरिटी आफ इंडिया ( एनएचएआई ) बनाएगी। इसके बनने से इस इलाके की रंगत खिल जाएगी। कमोवेश यही बातें सभी आलाधिकारियों के पास है। मगर इसे अमलीजामा कब पहनाया जाएगा? इसका जवाब पक्की तौर पर किसी के पास नहीं है। अभी तक कूड़ा फेकने के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं है। स्मार्ट सिटी में बिजली के तार इस कदर बेतरतीब सड़कों पर लटके है। सटले कि घटले वाली नौबत है।

यहां का सैंडिस कंपाउंड मैदान शहरवासियों के लिए प्राणवायु का केंद्र है। सुबह शाम हजारों बड़े – बूढ़े ,जवान , महिलाएं- बच्चें पैदल सैर करने जाते है। मगर गंदगी और उड़ती धूल प्रशासनिक अनदेखी की वजह से प्रतिकूल असर डाल रही है। डा. शैलेश झा कहते है सैंडिस को सजाने का अधिकारी गुलाबी सपना दिखा रहे है। जबकि अमर गोयनका ने पटना हाईकोर्ट में इस बाबत याचिका भी दायर की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान ले आदेश भी दिया है। फिर भी स्मार्ट सिटी की तरह सैंडिस भी अपने उत्थान की बाट जोह रहा है।