राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का राजस्थान में अब एक भी विधायक नहीं रहा है। 23 नवंबर को आए नतीजों में पार्टी की एक मात्र खींवसर सीट भी उसके हाथ से चली गई। अक्टूबर 2018 में पार्टी के लॉन्च पर एक रैली को संबोधित करते हुए पार्टी के प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने दावा किया था कि उनका संगठन राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के रूप में उभरेगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। विधानसभा चुनाव-2023 में खींवसर सीट से हनुमान बेनीवाल जीते थे लेकिन लोकसभा चुनाव जीतने के बाद बेनीवाल ने इस्तीफा दे दिया था।

अब राजस्थान उपचुनाव के नतीजों में आरएलपी की कनिका बेनीवाल (हनुमान बेनीवाल की पत्नी) भाजपा के रेवंत राम डांगा से 13,901 वोटों से हार गई हैं। डांगा को 1,08,628 वोट मिले, जबकि कनिका बेनीवाल को 94,727 वोट मिले। वहीं कांग्रेस तीसरे स्थान पर हैं।

RLP के लिए बड़ी है यह हार

आरएलपी के लिए यह हार बहुत बड़ी है। खींवसर को बेनीवाल परिवार का गढ़ माना जाता है। यहां से हनुमान बेनीवाल ने चार बार – 2008, 2013, 2018 और 2023 जीत हासिल की है। उनके भाई नारायण ने 2019 में हुए उपचुनाव में इस सीट से जीते थे।

2023 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में हनुमान बेनीवाल ने रेवंत राम डांगा को 2,059 वोटों से हराने के एक साल से भी कम समय बाद यह सीट गंवा दी है।

आरएलपी के लिए इस सीट से हार का मतलब अपनी एकमात्र विधानसभा सीट खोना भी है। अब पार्टी के पास विधानसभा में एक भी सीट बाकि नहीं रही है। गौरतलब है कि बीजेपी के जीते हुए प्रत्याशी डांगा पूर्व आरएलपी सदस्य और हनुमान के पूर्व करीबी सहयोगी हैं, जो 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे। पिछले चुनावों में हार के बावजूद भाजपा की मज़बूत मशीनरी के साथ डांगा बेनीवाल के लिए एक मज़बूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरे। चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद, उन्होंने दावा किया कि बदलाव की हवा बह रही है।

LIVE: फडणवीस या शिंदे- कौन होगा महाराष्ट्र का अगला CM? शाम 4 बजे राजभवन जाएंगे हेमंत सोरेन

उन्होंने पत्रकारों से कहा, “मुझे खुशी है कि भाजपा ने मुझे खींवसर से उम्मीदवार चुना। जनता ने अपना फैसला दे दिया है और लोगों को इसे स्वीकार करना चाहिए। खींवसर की जनता बदलाव चाहती थी, जो अब उन्हें मिलेगा।” हनुमान बेनीवाल को किए गए फोन और मैसेज का कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, चुनाव के तुरंत बाद मीडिया को संबोधित करते हुए आरएलपी प्रमुख ने कहा कि पार्टी की हार के बावजूद वे नागौर से सांसद हैं। उन्होंने कहा, “अगले पांच साल तक मेरा लक्ष्य भाजपा या कांग्रेस पार्टी में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना और अन्याय के खिलाफ लड़ना है।” इस बीच, खींवसर के लिए पार्टी के चुनाव प्रभारी भाजपा नेता अशोक सैनी ने जीत का श्रेय पार्टी के जोरदार जमीनी अभियान को दिया।

हनुमान बेनीवाल को किए गए फोन और मैसेज का कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, चुनाव के तुरंत बाद मीडिया को संबोधित करते हुए आरएलपी प्रमुख ने कहा कि पार्टी की हार के बावजूद वे नागौर से सांसद हैं। उन्होंने कहा, “अगले पांच साल तक मेरा लक्ष्य भाजपा या कांग्रेस पार्टी में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करना और अन्याय के खिलाफ लड़ना है।”