केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में एक बार फिर ठन गई है। वजह सीएम ममता का दिया आदेश है। ममता ने राज्य सरकार के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रदेश का कोई भी डेटा केंद्र सरकार के साथ साझा न किया जाए। ममता ने कहा कि राज्य के सरकारी विभाग सारी जानकारी सुरक्षित रखने के लिए अपना खुद का पोर्टल बनावाएं। ममता ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कुछ सामाजिक हिस्सों से राजनीतिक फायदा उठाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार पर डेटा शेयर करने का दबाव बना रही है ।
ममता बनर्जी ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ गुरुवार को 24 परगना जिले में हुई बैठक में निर्देश दिया कि, ‘केंद्र सरकार के साथ प्रदेश का कोई भी डेटा साझा न किया जाए। डेटा सुरक्षित रखने के लिए सभी विभाग अपना पोर्टल बनवाएं’। मुख्यमंत्री से मिले निर्देश के आधार पर अधिकारियों द्वारा प्रदेश के सारे विभागों का डेटा केंद्र सरकार को न देकर, सुरक्षित रखने के लिए काम शुरू कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि, ‘अबसे हमारे खुद के पोर्टल होने चाहिए, जिन पर राज्य के विभागों का डेटा सुरक्षित रखा जा सके। अब किसी भी डेटा को केंद्र सरकार के साथ साझा नहीं किया जाएगा। डेटा के नाम पर केंद्र सरकार कई चीजों को अपने कंट्रोल में करना चाहती है। इसके जरिए केंद्र सरकार संघीय ढांचे में दखल देना चाह रही है, जो उचित नहीं है। देश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ’।
ममता बनर्जी ने आगे कहा कि, पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार भी केंद्र में बीजेपी की तरह की चुनकर आई है। उन्होंने कहा कि, ‘राज्य के अल्पसंख्यकों की जानकारी लेकर भी केंद्र सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया। केंद्र सरकार राज्य के डेटा का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए करना चाहती है। जबकि राज्य सरकार यहां के अल्पसंख्यकों के लिए पैसा और अन्य जरुरी फंड जारी करती है’।
बीते दिनों पिछले दिनों दस जांच एजेंसियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिकार दिया था कि वे देश के किसी कंप्यूटर से जानकारी इकट्ठा कर सकती हैं। वहीं, जबकि डेटा शेयरिंग का विवाद काफी समय से चला आ रहा है। अक्टूबर महीने में सीएजी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में की बड़ी सरकारी योजनाओं का लेखा परीक्षण नहीं हो पाया। सीएजी ने इसके पीछे राज्य सरकार से जानकारी न मिलने का कारण बताया था। सीएजी ने कहा था कि बंगाल सरकार ने जानकारी देने के कई अनुरोधों का कोई जवाब नहीं दिया।