पश्चिम बंगाल में टीचर भर्ती घोटाला मामले में शिक्षा मंत्री परेश अधिकारी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। घोटाले में नाम सामने आने के बाद मंत्री पद पर खतरा मंडरा रहा है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार (17 मई, 2022) को सीबीआई को आदेश जारी कर शिक्षा मंत्री से पूछताछ के निर्देश दिए हैं। साथ ही, कोर्ट ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और गवर्नर से परेश अधिकारी को शिक्षा मंत्री के पद से हटाने का आग्रह किया है।

राज्य में 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए शिक्षकों की भर्ती में हुई अनियमितता मामले में अधिकारी का नाम सामने आया था। हाई कोर्ट ने अधिकारी को आज रात आठ बजे तक सीबीआई के सामने पेश होने के निर्देश दिए हैं।

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है। जज ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ से भी अधिकारी को शिक्षा मंत्री के पद से हटाने का आग्रह किया। बता दें कि हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर मंत्री पर कथित रूप से मेरिट सूची में फेरबदल कर अपनी बेटी को टीचर की नौकरी दिलाने में मदद करने का आरोप लगाया गया है।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि मेरिट लिस्ट में शिक्षा मंत्री की बेटी के मार्क्स कम होने के बावजूद नौकरी दी गई, जबकि याचिकाकर्ता को बेहतर अंक मिले, लेकिन नौकरी नहीं दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील फिरदौस शमीम ने कहा, “याचिकाकर्ता ने शिक्षक भर्ती की मेरिट लिस्ट में 20 वां स्थान हासिल किया था, लेकिन बाद में उनके स्थान को बदलकर 21 कर दिया गया। मेरिट सूची में ये बदलाव अंकिता अधिकारी नामक एक उम्मीदवार का नाम शामिल होने के बाद हुआ। अंकिता अधिकारी राज्य के मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी हैं, इसलिए उनका नाम याचिकाकर्ता से कम अंक प्राप्त करने के बावजूद मेरिट सूची में शामिल किया गया।

“शमीम ने कहा, “बेहतर अंक मिलने के बाद भी याचिकाकर्ता को नौकरी नहीं मिली, लेकिन मंत्री की बेटी को कूचबिहार जिले के एक स्कूल में नौकरी मिल गई। इतना ही नहीं वो लिखित परीक्षा के बाद होने वाले पर्सनैलिटी टेस्ट में भी शामिल नहीं हुईं।”