कलकत्ता उच्च न्यायालय में गुरुवार को एक न्यायाधीश और बार काउंसिल के अध्यक्ष के बीच तीखी बहस हुई और जज ने बार काउंसिल के अध्यक्ष को अदालती कार्रवाई के अवमानना ​​​​की चेतावनी भी दी। वहीं बार अध्यक्ष ने धमकी से पीछे हटने से इनकार कर दिया। न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की अदालत में यह घटना उस समय घटित हुईं जब उन्होंने पत्रकारों को शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित मामले में कार्यवाही का वीडियो रिकॉर्ड करने की अनुमति दी।

जज ने कहा कि पत्रकार किसी भी सोशल मीडिया पर कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे अपने फोन का उपयोग करके कार्यवाही रिकॉर्ड कर सकते हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुणव घोष ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इससे जज की बदनामी होगी। हालांकि न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पीछे हटने से इनकार कर दिया, जिससे उनके और अरुणव घोष के बीच तीखी नोकझोंक हुई।

लॉ वेबसाइट बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार बार के अध्यक्ष ने कहा कि ऐसी अफवाह है कि रिपोर्टर्स आपके चैम्बर में जाते हैं। इसपर जज ने कहा कि हाँ वो जाते हैं, इससे आपको क्या आपत्ति है? इसके बाद बार के अध्यक्ष कहते हैं कि कृपया 131 लीजिए। इसपर जज भड़क गए और उन्होंने कहा कि नहीं, नहीं। मैं आपसे बात करूंगा और अवमानना ​​का नियम जारी करके आपको बुलाऊंगा और घोष, आपको जेल भेज दूंगा। इसपर बार के अध्यक्ष ने कहा कि आप उन्हें यहां मौजूद रहने के लिए बोले थे। जिसके बाद जज ने फिर कहा मैं उस एग्जीक्यूटिव प्रोडूसर को बताऊंगा जिसका नाम रजिस्ट्रार अमृतांशु भट्टाचार्य ने एकत्र किया है। एक दिन अवमानना ​​का नियम जारी करके मैं आपको और अमृतांशु भट्टाचार्य को बुलाऊंगा और मुझे लगता है कि पर्याप्त सबूत हैं।

बार अध्यक्ष ने कहा कि मैं जानता हूं कि न्यायाधीश के साथ कैसे व्यवहार करना है। इसपर जज ने कहा मुझे पता है कि आप जैसे गुंडों से कैसे निपटना है। बहस आगे बढ़ी और फिर जज ने कहा कि मैं नियम जारी करूंगा और तुम्हें जेल भेजूंगा। इसपर अध्यक्ष ने उन्हें ऐसा करने की धमकी दी। इसके बाद जज ने कहा कि हां मैं जारी करूंगा। मुझे अपनी लाल आँख मत दिखाओ मिस्टर घोष।

न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की अदालत ने इस साल की शुरुआत में उस समय भी विवाद देखा था जब अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस से जुड़े वकीलों ने न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के अदालत कक्ष में अधिवक्ताओं को प्रवेश करने से रोकने की मांग की थ। एसएससी भ्रष्टाचार मामले में अभिजीत गंगोपाध्याय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था।