पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कानून मंत्री मलय घटक और राज्य सरकार ने नारदा स्टिंग टेप मामले को स्थानांतरित करने के सीबीआई के अनुरोध वाली याचिका के संबंध में हलफनामा दाखिल करने के लिए सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय में नए आवेदन दाखिल किए। यह आवेदन उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार दाखिल किए गए हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय हलफनामों को स्वीकार करेगा या नहीं, इस पर पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश सुरक्षित रख लिया।

राज्य सरकार, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री के जवाबी हलफनामे लेने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के नौ जून के आदेश को उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिया था। इसके साथ ही 25 जून को उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ को मामले को स्थानांतरित करने की सीबीआई की याचिका पर फैसला करने से पहले उनकी याचिकाओं पर नए सिरे से विचार करने को कहा था। जांच एजेंसी ने नारदा मामले को यहां की विशेष सीबीआई अदालत से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था।

नारदा स्टिंग टेप मामले में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सरकार, मुख्यमंत्री और कानून मंत्री ने सोमवार को हलफनामा दाखिल करने के लिए नए आवेदन दायर किए। जांच एजेंसी ने नारदा मामले को सीबीआई की विशेष अदालत से उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के अपने अनुरोध में मुख्यमंत्री और कानून मंत्री को भी पक्ष बनाया है।

नारदा स्टिंग ऑपरेशन एक वेब पोर्टल नारदा न्यूज के पत्रकार मैथ्यू सैमुअल द्वारा 2014 में किया गया था, जिसमें टीएमसी के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों जैसे कुछ लोगों को एहसान के बदले एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से पैसे लेते देखा गया था। गिरफ्तार राजनेता ममता बनर्जी सरकार में मंत्री थे। पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले स्टिंग ऑपरेशन को सार्वजनिक किया गया था।