पश्चिम बंगाल मुर्शिदाबाद ज़िले में गुरुवार दोपहर एक 38 वर्षीय व्यक्ति ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। व्यक्ति का शव उसके घर के पास एक पेड़ से लटका हुआ पाया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। उसने बताया कि मृतक के परिवार ने दावा किया कि वह विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के दौरान मतदाता सूची से नाम बाहर होने के डर से मानसिक तनाव में था।

मृतक की पहचान तारक साहा के रूप में हुई है जो गांधी कॉलोनी, बरहामपुर का निवासी था। शख्स का शव उसके घर के पास एक पेड़ से लटका हुआ पाया गया। मुर्शिदाबाद पुलिस ज़िले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “तारक साहा नाम के एक व्यक्ति ने गुरुवार दोपहर अपने घर के पास एक पेड़ से गमछे से फांसी लगा ली। हमने शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।” अधिकारी ने बताया कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।

शख्स का नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था

परिवार के सदस्यों के अनुसार, साहा का नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था और न ही उन्हें अपने दिवंगत माता-पिता के कागजात मिल सके। परिवार के सदस्यों के अनुसार, जब साहा को पता चला कि उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं है तो वह चिंतित हो गए थे। तारक इसलिए चिंतित थे क्योंकि उनके पास खुद को असली मतदाता साबित करने के लिए कोई पुराना दस्तावेज नहीं था।’’

तारक की पत्नी प्रिया साहा ने मीडियाकर्मियों को बताया, “मेरे ससुराल वाले राजनीति से कतराते थे इसलिए उन्होंने कभी वोट नहीं दिया। उनका निधन हो चुका है। हमें उनके पुराने दस्तावेज़ नहीं मिल पाए। मेरे पति का नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था। वह हमेशा डर में रहते थे और बार-बार कहते थे कि वह आत्महत्या कर लेंगे। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि वह ऐसा कर लेंगे। मेरे पति ने इसलिए अपनी जान ले ली क्योंकि उनके पास उचित दस्तावेज़ नहीं थे।”

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नोएडा में प्रवासी श्रमिक घर लौट रहे

वहीं, दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में एसआईआर शुरू होने के परिणामस्वरूप राज्य के प्रवासी श्रमिकों को अचानक घर लौटना पड़ रहा है। कई मामलों में, इसकी कीमत उन्हें अपनी नौकरियों और आजीविका में रुकावट के रूप में चुकानी पड़ रही है और काफी एक्स्ट्रा खर्च भी करना पड़ रहा है। 4 नवंबर से शुरू हुए और एक महीने तक चलने वाले गणना चरण के दौरान, बूथ स्तर के अधिकारी (BLO) मौजूदा मतदाता सूची में शामिल 7.62 करोड़ मतदाताओं के घरों का दौरा करेंगे। हर मतदाता को गणना फ़ॉर्म भरना होगा।

ऑनलाइन फॉर्म भरने का विकल्प तो है, लेकिन नोएडा में पश्चिम बंगाल से आए ज़्यादातर प्रवासी इस प्रक्रिया को लेकर अनिश्चित हैं। कई लोग मतदाता सूची से नाम कटने से डरते हैं और मानते हैं कि जब बीएलओ उनके घर आएँ तो उनके लिए वहाँ मौजूद रहना ज़रूरी है। पश्चिम बंगाल से आए बड़ी संख्या में प्रवासी नोएडा में घरेलू नौकरों, निर्माण मज़दूरों और रसोइयों के तौर पर काम करते हैं।

पश्चिम बंगाल में 23 सालों के बाद SIR

पश्चिम बंगाल में 23 वर्षों के अंतराल के बाद मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) किया जा रहा है। राज्य में पिछली एसआईआर 2002 में हुई थी। पुलिस के अनुसार, एसआईआर की घोषणा के बाद से, पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान मतदाता सूची से नाम कट जाने के डर से कई लोगों ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली है।

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