बंगाल पंचायत चुनाव (Bengal Panchayat Elections) की तारीखों का ऐलान हो चुका है। विपक्षी पार्टियां पंचायत चुनाव की तारीखों का विरोध कर रही है तो वहीं टीएमसी चुनाव की तैयारी में जुट गई है। टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी (TMC leader Abhishek Banerjee) ने पार्टी की कमान संभाल रखी है। इसी सिलसिले में टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी रविवार को उत्तर 24 परगना पहुंचे थे। लेकिन उन्हें ठाकुरबाड़ी मंदिर में विरोध का सामना करना पड़ा।

अभिषेक बनर्जी को दिखाए गए काले झंडे

अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि उन्हें मंदिर के अंदर घुसने से रोका गया। बताया जा रहा है कि मतुआ समुदाय (Matua Community) के लोगों ने टीएमसी सांसद का विरोध किया और उन्हें काले झंडे दिखाए। अभिषेक बनर्जी ने ठाकुरनगर का दौरा किया। यह इलाका मतुआ समुदाय का गढ़ माना जाता है और यहां पर मतुआ महासंघ के नेताओं ने उन्हें काले झंडे दिखाए।

वहीं टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने बीजेपी के सांसद शांतनु ठाकुर पर विरोध करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उनके समर्थकों ने हम पर हमला करने की कोशिश की। अभिषेक बनर्जी ने इस घटनाक्रम का एक वीडियो भी शेयर किया। वीडियो को शेयर करते हुए उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “मैं सीआईएसएफ के साथ शांतनु ठाकुर के ठाकुरबाड़ी मंदिर में घुसने, जूते पहनकर परिसर का अनादर करने और महिला भक्तों पर हमला किए जाने के अपमानजनक कृत्य की कड़ी निंदा करता हूं। उन्होंने राजनीति के नाम पर ठाकुरबाड़ी की पवित्रता का अपमान किया है। शक्ति का शर्मनाक प्रदर्शन।”

अभिषेक ने उठाया खतरनाक कदम: सुवेंदु अधिकारी

टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी के दौरे को लेकर ठाकुरबाड़ी मंदिर के बाहर हुए हंगामे पर पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि यह खतरनाक कदम है। उन्होंने कहा, “यह एक ख़तरनाक क़दम है। उन्होंने (अभिषेक बनर्जी) अपनी ताक़त के दम पर अंदर जाने की कोशिश की। ये सही नहीं है। बतौर सांसद उन्हें पहले ठाकुरबाड़ी से अनुमति लेनी चाहिए थी और पत्र भेजना चाहिए था। उन्हें बिना झंडे के जाना चाहिए था, जैसा कि ठाकुरबाड़ी में प्रथा है। समुदाय को सलाम है कि उन्होंने इसका खुलकर विरोध किया।”

सुवेंदु अधिकारी ने आगे कहा, “ठाकुरबाड़ी की जो प्रेक्टिस है, उसके अनुसार बगैर झंडे के जाना चाहिए था। हम लोग भी ठाकुरबाड़ी आते-जाते हैं, हमारे प्रधानमंत्री जी भी आए थे। लेकिन पार्टी का झंडा लेकर, पार्टी का नारा लेकर, जॉय बांग्ला जो बांग्लादेश का नारा है वो नहीं चलता है। वहां हरिबोल, जय-जय हरिबोल चलता है। ये अच्छा कदम नहीं है, ये बहुत खराब कदम है।”