UP News: सहारनपुर से लोकसभा के सांसद इमरान मसूद को बुधवार को बच्चों के एक ग्रुप की चिट्ठी मिली है। इसमें कांग्रेस नेता से स्थानीय प्लेग्राउंड की सफाई का आग्रह किया गया था। इस चिट्ठी को इमरान मसूद के भतीजे काजी हमजा मसूद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया है। उन्होंने इस आग्रह को सबसे प्यारा एप्लीकेशन बताया।
बच्चों का यह ग्रुप यूपी के अलीगढ़ में मौजूद मसूदाबाद कॉलोनी के रहने वाला था। उन्होंने मसूद से कहा कि वह ‘एकमात्र जगह साफ करे’ जहां वे साथ खेल सकें। इस पत्र में लिखा हुआ है, ‘हम मसूदाबाद कॉलोनी के बच्चे, आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए यह पत्र लिख रहे हैं। हमारे इलाके में एक प्लॉट है जिसके बारे में हमें पता चला है कि वह आपका है। हम अक्सर इसी मैदान में खेलते हैं क्योंकि आस-पास कोई और खुली जगह नहीं है। यही एकमात्र जगह है जहां हम साथ खेल सकते हैं। हालांकि, हाल ही में जंगली पौधों, कूड़े और उगी झाड़ियों के कारण यह मैदान गंदा और असुरक्षित हो गया है। हमने दो सांप भी देखे हैं, जिससे हम और हमारे माता-पिता बहुत चिंतित हैं। हमें वहां खेलना बहुत पसंद है, लेकिन अब यह खतरनाक लगता है।’
इंस्टाग्राम पर आए रिएक्शन
इस पत्र पर तरह-तरह के रिएक्शन सामने आए हैं। एक इंस्टाग्राम यूजर ने लिखा, ‘बच्चों में से किसी ने अपनी बड़ी बहन को इसे लिखने के लिए राजी किया होगा।’ वहीं एक अन्य यूजर ने कहा, ‘तो क्या प्लॉट साफ है, अब तस्वीरें दिखाओ।’ एक अन्य यूजर ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘मुझे यकीन है कि एमपी साहब इन बच्चों के अनुरोध पर जल्द से जल्द काम करेंगे।’ इंस्टाग्राम पर इस पोस्ट को 37,000 से ज्यादा लाइक मिले हैं।
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इमराम मसूद का पॉलिटिकल करियर
इमरान मसूद ने 2001 में सहारनपुर नगर पालिका परिषद का चुनाव लड़कर मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखा। 2006 तक वे इसके अध्यक्ष बन गए। 2007 में वे मुजफ्फराबाद विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पहली बार विधायक चुने गए। 2012 में उन्हें कांग्रेस ने राहुल गांधी की टीम में एक युवा चेहरे के रूप में चुना। उसी साल उन्होंने नकुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन बसपा के धर्म सिंह सैनी से कांटे की टक्कर में हार गए। 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले, एक वीडियो क्लिप सामने आई थी, जिसमें मसूद कथित तौर पर बीजेपी के तत्कालीन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को धमकी देते हुए दिखाई दे रहे थे और उन्होंने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के लिए बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया था। उनके खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में वे बीजेपी के राघव लखन पाल से हार गए।
मसूद की चुनावी हार 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी जारी रही। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले मसूद ने कांग्रेस से नाता तोड़कर सपा का दामन थाम लिया। लेकिन उसी साल अक्टूबर में वह सपा छोड़कर बसपा में शामिल हो गए, जहां पार्टी सुप्रीमो मायावती ने उन्हें तुरंत पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कोऑर्डिनेट नियुक्त कर दिया और उत्तराखंड में मुसलमानों के बीच काम करने की जिम्मेदारी भी सौंपी। लेकिन अगस्त 2023 में, मायावती ने अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में मसूद को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसके बाद वह कांग्रेस में वापस आ गए। इमरान मसूद को सीट शेयरिंग पर बोलने का हक कैसे?