वॉटर टैंकर घोटाले में दिल्ली सरकार की पूर्व सीएम और सीनियर कांग्रेस नेता शीला दीक्षित के खिलाफ शिकायत को एलजी ने एंटी करप्शन ब्यूरो के पास भेज दिया है। ऐसे में शीला को यूपी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य में कांग्रेस का चेहरा बनाने की पार्टी की कोशिशों को झटका लग सकता है। बता दें कि शीला दीक्षित यूपी के मशहूर कांग्रेसी नेता रहे उमाशंकर दीक्षित की बहू हैं। उमाशंकर केंद्रीय मंत्री और गवर्नर भी रहे हैं।
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क्यों लग रहीं अटकलें
शीला दीक्षित ने गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में उन अटकलों को हवा मिल गई, जिनमें कहा गया था कि शीला को कांग्रेस यूपी में सीएम कैंडिडेट बना सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शीला को कांग्रेस आलाकमान ने सीएम पोस्ट के दावेदार के रूप में उत्तर प्रदेश में अभियान की कमान संभालने का संकेत दिया है। हालांकि, शीला ने इस पर विचार करने के लिए वक्त मांगा। अब वॉटर टैंकर मामले के फिर से खुल जाने से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
प्रशांत किशोर ने दी थी सलाह
माना जा रहा है कि कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यूपी चुनाव में किसी ब्राह्मण चेहरे को सीएम कैंडिडेट बनाना चाहते थे। उन्होंने ही शीला दीक्षित का नाम सुझाया। पीके की इस रणनीति के पीछे वो सोच है, जिसके मुताबिक कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाला ब्राह्मण समुदाय अब बीजेपी के पक्ष में खड़ा है। वहीं, मायावती के सोशल इंजीनियरिंग के चलते बीएसपी को भी ब्राह्मणों के वोट मिलने लगे।