शराब व्यवसायी विजय माल्या ने शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका को खारिज करने की मांग की। ईडी ने दिल्ली की एक अदालत के एक मामले में उन्हें व्यक्तिगत पेशी से मिली छूट को वापस लेने की मांग की है जो फेरा उल्लंघन मामले में समन से कथित तौर पर बचने के लिए उनके खिलाफ दायर किया गया है। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुमित दास ने माल्या के ईडी को दिए गए जवाब पर सुनवाई की तारीख आगे टाल दी जो माल्या ने अपने वकील के माध्यम से दायर की है। अदालत ने दिसंबर 2000 में माल्या की याचिका को मंजूरी दी थी जिसमें उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी रूप से छूट मिल गई।

अपने जवाब में व्यवसायी ने कहा कि अंतिम जिरह के चरण में उनकी उपस्थिति जरूरी नहीं है क्योंकि उनकी तरफ से अधिकृत वकील सुनवाई की हर तारीख पर अदालत में पेश हो रहा है। जवाब में कहा गया है- आरोपी ने इस अदालत के सभी निर्देशों का पालन किया है। रिकॉर्ड से भी यह पता चलता है कि इस अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए आरोपी के खिलाफ कोई आरोप नहीं है न ही अदालत की तरफ से मिली छूट का कोई दुरुपयोग हुआ है। इसलिए शिकायतकर्ता की तरफ से दायर आवेदन जिसमें आरोपी की उपस्थिति की मांग की गई है, पूरी तरह गलत, अनधिकृत और कानून की नजर में टिकने योग्य नहीं हैं।

अदालत ने ईडी की याचिका पर माल्या को नोटिस जारी किया था जिसमें बंद हो चुके किंगफिशर एअरलाइंस के अध्यक्ष के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की मांग की गई ताकि मामले की उनके खिलाफ जारी सुनवाई में उनकी उपस्थिति सुनिश्चित कराई जा सके। अभियोजक एनके मट्टा के माध्यम से दायर आवेदन में ईडी ने अदालत से आग्रह किया है कि आरोपी को मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया जाए जो अंतिम चरण में है।

एजंसी ने अपनी याचिका में कहा है कि माल्या के ब्रिटेन में होने की खबर है और वर्तमान मामले में उनकी उपस्थिति जरूरी है और अदालत से उन्हें निर्देश देने को कहा कि हर सुनवाई पर वह व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहें। एजंसी ने अदालत से अपील की है कि आरोपी को व्यक्तिगत पेशी से दी गई छूट वापस ली जाए और जारी सुनवाई में आरोपी के मौजूद रहने के लिए गैर जमानती वारंट जारी किया जाए। इससे पहले मट्टा ने अदालत से आग्रह किया कि अदालत को अपने दिसंबर 2000 के फैसले को वापस लेना चाहिए जिसमें उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेशी के लिए स्थायी छूट दे दी गई थी।