उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने असहिष्णुता पर छिड़ी बहस की पृष्ठभूमि में आज कहा कि एक संघर्ष मुक्त समाज के लिए सहिष्णुता एक व्यावहारिक सूत्र है। उन्होंने गलतफहमी को दूर करने के लिए विभिन्न धर्मों के बीच वार्ता की मजबूत वकालत की। अंसारी ने विभिन्न धर्मों के एक सम्मेलन का यहां उद्घाटन करते हुए कहा कि एक समावेशी और बहुलवादी समाज के निर्माण के लिए सहिष्णुता के साथ साथ धर्मों को स्वीकार करना और उनकी समझ आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘ विभिन्न धर्मों, राजनीतिक विचारधाराओं, राष्ट्रीयता, जातीय समूहों के बीच टकराव या हमारे बनाम उनके बीच के अन्य विभाजनों से मुक्त समाज की कार्यप्रणाली के लिए सहिष्णुता एक व्यावहारिक सूत्र है।’
उन्होंने सहिष्णुता को सदाचार और कट्टरता से स्वतंत्रता करार देते हुए कहा, ‘ यह उस स्वर्णिम नियम का ही एक रूप है कि यदि हम चाहते हैं कि दूसरे हमसे अच्छा व्यवहार करें तो हमें भी उनके साथ अच्छा व्यवहार करने की आवश्यकता है।’ अंसारी ने कहा कि भारत में कानून और सार्वजनिक जीवन दोनों धार्मिक सहिष्णुता को प्रोत्साहित करते हैं और उसका समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘ एक समावेशी और बहुलवादी समाज के निर्माण की मजबूत नींव रखने के लिए केवल सहिष्णुता ही पर्याप्त नहीं है। इसके साथ स्वीकार्यता और समझ की भी आवश्यकता है।’ अंसारी ने कहा कि देश की संस्थाओं से यह सुनिश्चित करने की आशा की जाती है कि धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत सार्वजनिक जीवन में अक्षरश: लागू किया जाए।
उन्होंने कहा कि हमारा देश विश्व के सभी महान धर्मों का घर रहा है, ‘ सदियों से हमारे समाज ने एक ऐसा अनूठा सामाजिक एवं बौद्धिक माहौल मुहैया कराया है जिसमें कई अलग अलग धर्म न केवल शांतिपूर्वक साथ रहे हैं बल्कि उन्होंने एक दूसरे को समृद्ध बनाया है। संविधान में कहा गया है कि देश को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के आधार पर आचरण करना होगा, देश के कार्य निष्पक्षता और बिना किसी भेदभाव के किए जाने होंगे।’ उन्होंने कहा, ‘ देश सभी धर्मों को एक जैसा सम्मान देगा, वह अन्य धर्मों या समुदायों की तुलना में किसी एक धर्म को विशेषाधिकार नहीं देगा।’
अंसारी ने स्वामी विवेकानंद का हवाला देते हुए कहा, ‘ हमें अन्य धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता नहीं दिखानी चाहिए, बल्कि उन्हें सकारात्मक रूप से गले लगाना चाहिए क्योंकि सभी धर्मों का आधार सत्य है।’ उन्होंने विभिन्न धर्मों के बातचीत के महत्व का जिक्र करते हुए कहा,‘वार्ता से गलतफहमियां दूर होती हैं। इससे सहानुभूति एवं आपसी समझ को बढ़ावा मिलता है। इस अहम कार्य में विभिन्न धर्मों के बीच वार्ता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।’
अंसारी ने केरल में धार्मिक बहुलवाद की पुरानी परंपरा का जिक्र करते हुए कहा, ‘ यह एक ऐसा राज्य है, जहां भारत में इस्लाम और ईसाई धर्म की सबसे पुरानी परंपराएं हैं और यह विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच मौजूद आपसी सद्भाव के लिए जाना जाता है।’ इस सम्मेलन में सांसद शशि थरूर और राज्य के मंत्रियों पी के कुन्हलिकुट्टी एवं एम के मुनीर ने भी भाग लिया।