IPS Kavindra Pratap singh: उत्तर प्रदेश पुलिस में महानिरीक्षक (Inspector General in Uttar Pradesh Police) के पद से सेवानिवृत्त होने के छह महीने से भी कम समय में कविंद्र प्रताप सिंह (Kavindra Pratap Singh) को विश्व हिंदू परिषद् (VHP) के ‘काशी प्रांत’ का प्रमुख बना दिया गया हैं। विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित कविंद्र प्रताप सिंह ने अपने अधिकांश करियर में उस क्षेत्र में सेवा की जहां वे अब परिषद के मामलों की देखभाल करेंगे।
देश की सेवा की जानी चाहिए- Kavindra Pratap Singh
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कविंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि उनका ध्यान ‘समाज में एकता’ को बढ़ावा देने और युवाओं में ‘हमारी संस्कृति और परंपराओं’ को विकसित करने पर होगा। उन्होंने यह संकेत दिया कि पहले ही वह VHP की ऐसी गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा, “हमें उन्हें (युवाओं को) यह बताने की जरूरत है कि उन्हें पश्चिमी संस्कृति (Western culture) से प्रभावित नहीं होना चाहिए और इसके बजाय हमारे आदर्शों का पालन करना चाहिए। देश की सेवा की जानी चाहिए।”
सोनभद्र (Sonbhadra) के मूल निवासी कविंद्र सिंह ने विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और 1985 में यूपी पुलिस में शामिल हुए थे इससे पहले उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्हें 2002 में भारतीय पुलिस सेवा में प्रोमोट किया गया था और प्रयागराज, अयोध्या और मिर्जापुर जैसे जिलों में सेवा दी।
2019 में डीआईजी (कुंभ मेला) के रूप में सेवा देने के बाद जुलाई 2019 में उन्हें डीआईजी (प्रयागराज रेंज) बनाया गया था। 2020 में आईजी, (प्रयागराज रेंज) के पद पर प्रोमोट हुए और अक्टूबर 2021 तक सेवा दी। बाद में जून 2022 में अयोध्या रेंज में उन्हें स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्होंने अगस्त 2022 में आईजी (पीएसी मुख्यालय) के रूप में अपनी सेवानिवृत्ति तक सेवा दी।
1 जनवरी को कविंद्र सिंह VHP द्वारा वाराणसी और प्रयागराज सहित यूपी के 18 जिलों का प्रभारी (काशी प्रांत प्रमुख के रूप में) नियुक्त किया गया था। कविंद्र सिंह ने कहा कि सेवा में रहते हुए भी वे VHP के काम करने के तरीके से प्रभावित थे उन्होंने कहा, “किस तरह VHP ने बहुत अधिक शोर किए बिना काम किया और पीछे रह गए लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने की कोशिश की। सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि वीएचपी ने हमेशा राष्ट्र को पहले रखा। जब मैं पुलिस का हिस्सा था, हमारी जिम्मेदारी कानून और व्यवस्था बनाए रखना और अपराध को नियंत्रित करने की दिशा में काम करना था। एक आचार संहिता थी, जिसका हमें पालन करना था। अब मैं स्वतंत्र हूं और समाज के लिए काम कर सकता हूं।”
बता दें कि सेवानिवृत्त पुलिस (voluntary retirement) अधिकारियों के पहले भी राजनीतिक दलों में शामिल होने के कई उदाहरण हैं। समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद हाल ही में कन्नौज से भाजपा के टिकट (BJP ticket from Kannauj) पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता।