देशभर के लोगों को हिला देने वाले छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी कांड पर आखिरकार साढ़े पांच साल बाद सोमवार को रिपोर्ट आने की उम्मीद है। 25 मई 2013 को बस्तर में हुए इस नक्सली हमले में कई दिग्गज कांग्रेसी नेताओं समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी। इसकी जांच जस्टिस प्रशांत मिश्रा कर रहे हैं और सोमवार को फिर से सुनवाई होनी है। इससे पहले कांग्रेस और राज्य सरकार का पक्ष सुनने के बाद आयोग ने 4 अगस्त 2018 ने जांच रिपोर्ट सुरक्षित रख ली थी।
11 बार हो चुका जांच आयोग का कार्यकाल विस्तारः अब तक इस मामले में जांच के लिए गठित आयोग का 11 बार कार्यकाल विस्तार हो चुका है। साथ ही आम नागरिकों, नेताओं और सुरक्षा कर्मियों समेत कई दर्जन लोगों की गवाही दर्ज हो चुकी है। जांच के नतीजे का अब भी इंतजार है। फिलहाल जांच में जुटे न्यायिक आयोग का कार्यकाल 27 फरवरी 2019 तक है।
हादसे में साफ हो गया था कांग्रेस नेतृत्वः एक रैली कर वापस लौट रहे कांग्रेस नेताओं पर झीरम घाटी में हुआ यह हमला काल बनकर टूट पड़ा था। इस हमले में प्रदेश कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व बुरी तरह से साफ हो गया था। हादसे में मरने वाले दिग्गज कांग्रेसियों में तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, केंद्रीय मंत्री रह चुके विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा और उदय मुदलियार शामिल थे। इस हादसे का शिकार हुए कवासी लखमा एकमात्र जीवित कांग्रेसी नेता हैं। उन्हें भी चोट लगी थी। लखमा फिलहाल भूपेश बघेल सरकार में मंत्री बने हैं। वे 20 साल से कांग्रेस के विधायक हैं। हादसे में प्रदेश नेतृत्व के सफाये के बाद भूपेश बघेल के नेतृत्व में पार्टी ने कड़ी मेहनत की है।