वर्तमान दौर में गगनचुंबी इमारतों और भीड़-भाड़ वाले शहरों से इतर स्मार्ट सिटी बनाने को लेकर होने वाली जद्दोजहद कोई नया प्रयोग नहीं है। वैदिक काल से मानव बसावट के सिद्धांत आज भी पूरी तरह से प्रभावी हैं। वेदों में मानव बसावट (ह्रयूमन सेटलमेंट) के जो पांच सिद्धांत- प्रकृति, मनुष्य, समाज, तकनीक और संपर्क (नेटवर्क) बताए गए हैं। उन्हीं पर मानव बसावट निर्भर करती है। आदर्श बसावट या शहर के लिए इन पांच तत्वों का एक साथ होना जरूरी है। एक भी तत्व के ना होने से वह समाज या बसावट आदर्श नहीं हो सकता है। नोएडा के सेक्टर 47 में रहने वाले वास्तुविद डॉ. हरीश त्रिपाठी को -पैरलल इन एक्सिटिक्स एंड वैदिक फिलास्फी- टुवर्ड्स आइडियल ह्रयूमन सैटलमेंट…. विषय पर अक्तूबर 2018 में पीएचडी मिली है। केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया के फैकल्टी आॅफ आर्किटेक्चर एंड एकिस्टिक्स के विभागाध्यक्ष डॉ एसएम अख्तर पीएचडी में उनके गाइड रहे हैं। उनके मुताबिक वास्तुशिल्प में वेदों के सिद्धांत को लेकर यह पहली पीएचडी है। डॉ. हरीश त्रिपाठी मानव बसावट के सिद्धांतों से जुड़े वैदिक मंत्रों की एक लेक्चर सीरीज तैयार कर रहे हैं, जो वास्तुशिल्प की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होगी।

मानव बसावट- एक घर से दूसरा घर, फिर गांव, कस्बे, शहर और महानगरों का बसना ही मानव बसावट (ह्रयूमन सेटलमेंट) है। फिलास्फी आॅफ एकिस्टिक्स वास्तव में मानव बसावट का सिद्धांत है। जिसके आधार पर 1950-60 के दशक में यूनानी (ग्रीस) वास्तुविद् सीए डॉक्सियाड्स ने 40 देशों में नए शहर डिजाइन किए थे। इनमें इस्लामाबाद, बगदाद आदि शामिल हैं। लखनऊ से वास्तुशिल्प में इंजीनियरिंग कर चुके डॉ. हरीश त्रिपाठी ने आदर्श शहरों को बसाने में वैदिक मंत्रों को मौजूदा एकिस्टिक्स सिद्धांतों की कसौटी पर तोला, तो पाया कि वेदों में आदर्श मानव बसावट के सटीक सिद्धांत बहुत पहले से मौजूद हैं। वेदों में उल्लेखित पांच सिद्धांत- प्रकृति, मनुष्य, समाज, तकनीक और संपर्क माध्यम पर ही आदर्श मानव बसावट टिकी है। ये पांचों तत्व एकसाथ नहीं होे पर बसावट आदर्श या स्थायी नहीं रह पाएगी। इन्हें पुष्ट करने के लिए डॉ. त्रिपाठी ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के 20500 मंत्रों में से 1100 मानव बसावट के सिद्धांत वाले छांटे हैं।

संस्कृत में लिखे इन मंत्रों का अनुवाद गायत्री परिवार के अध्यक्ष और देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पांड्या के सहयोग से कराए। इनमें से ऐसे 250 मंत्र हैं, जिन पर एकिस्टिक्स का सिद्धांत आधारित है। प्रख्यात विचारक सुकरात के कथन-आदर्श बसावट उसे माना जाए, जहां रहने वाले बाशिंदे खुश है। डॉ. त्रिपाठी बताते हैं कि वर्तमान शहरों में वेदों में उल्लेखित पांच तत्वों को लेकर बिंदु स्पष्ट नहीं है। जिस वजह से वे आदर्श बसाटव की परिभाषा पर खरे नहीं उतर रहे हैं। वेदों में उल्लेखित तत्वों के जरिए डिजाइन में नवाचार की भी असीम संभावनाएं हैं।