वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज परिसर स्थित मस्जिद में जुमे की नमाज पढ़ने को लेकर माहौल तनावपूर्ण हो गया है। शुक्रवार को कुछ छात्रों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर मस्जिद में जुमे की नमाज होती है, तो वे वहीं अखंड हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर देंगे। छात्रों ने दावा किया है कि मस्जिद और मजार का कानूनी दस्तावेज पेश किए बिना नमाज की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

तीन दिन पहले मंगलवार को मस्जिद में नमाज के दौरान छात्रों ने हनुमान चालीसा पढ़ने का प्रयास किया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस दौरान हंगामा करने वाले सात छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। अब छात्रों का कहना है कि जब तक उन्हें कैंपस में हनुमान चालीसा का पाठ करने की अनुमति नहीं मिलेगी, वे जुमे की नमाज नहीं होने देंगे।

छात्रों और पुलिस के बीच कई बार तीखी नोकझोंक

छात्रों ने मस्जिद और मजार को अवैध बताते हुए इसे सीज करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर जुमे की नमाज हुई तो वे हनुमान चालीसा का अखंड पाठ शुरू करेंगे। इस विवाद के चलते परिसर में छात्रों और पुलिस के बीच कई बार तीखी नोकझोंक हुई। जुमे की नमाज से पहले पूरे कॉलेज परिसर को हाई अलर्ट पर रखा गया है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

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यूपी कॉलेज के प्रिंसिपल की शिकायत पर शिवपुर थाने में तीन नामजद और एक दर्जन अज्ञात लोगों पर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का मुकदमा दर्ज किया गया है। परिसर में छात्रों और शिक्षकों के अतिरिक्त बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए चेकिंग अभियान भी शुरू किया गया है। जुमे की नमाज के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

जुमे की नमाज के लिए केवल 50 नमाजियों की अनुमति दी गई है

कॉलेज प्रशासन का कहना है कि जुमे की नमाज के लिए केवल 50 नमाजियों की अनुमति दी गई है, लेकिन अगर नमाजियों की संख्या बढ़ी, तो माहौल बिगड़ सकता है। यह स्थिति छात्रों के आक्रोश को और बढ़ा सकती है। प्रशासन के लिए यह स्थिति गंभीर चुनौती बन गई है।

एडीसीपी वाराणसी सरवनन टी ने कहा कि 6 दिसंबर को देखते हुए सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। यूपी कॉलेज में परीक्षाएं चल रही हैं, और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि माहौल शांतिपूर्ण बना रहे। संवेदनशीलता को देखते हुए पूरे परिसर को कड़ी सुरक्षा के घेरे में रखा गया है। यह मामला यूपी पुलिस और प्रशासन के लिए न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे प्रदेश में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।

संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा, अजमेर की दरगाह शरीफ के नीचे शिव मंदिर होने का दावा किए जाने को लेकर इन दिनों सड़क से लेकर संसद तक बयानबाजी तेज है। मंदिर-मस्जिद को लेकर होने वाले ऐसे तमाम दावों और विवादों के बीच प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 (Places of worship act, 1991) का जिक्र तमाम विपक्षी दलों के नेता बार-बार करते हैं। पढ़ें पूरी खबर