इस धंधे का भंडाफोड़ करने का महत्त्वपूर्ण कार्य हरिद्वार जिले की पुलिस ने किया है जिसमें कई सफेदपोश भू माफिया जुड़े हुए नजर आ रहे हैं। इस फंड के नाम पर जहां गरीब-गुरबा और मध्यम वर्ग के लोग ठगी के शिकार हुए हैं, वहीं कई धन्ना सेठ सफेदपोश और भूमाफिया इस धंधे के नाम पर रातों-रात करोड़पति बन बैठे।
मुसलिम समुदाय के गरीब लोग एक पाई पाई जोड़ कर अपनी बेटी की शादी या मकान बनाने के सपने सजो रहे थे, पर उन्हें पता लगा कि इस फंड के नाम पर उन्हें सब्जबाग दिखाने वाला गिरोह उनके रुपए पैसे लेकर चंपत होगया है। इससे गरीब वर्ग में मातम सा छा गया और लोगों ने ठगों के खिलाफ हरिद्वार के ज्वालापुर थाने में प्रदर्शन किया। इस गिरोह के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई।
फंड का मुख्य संचालक और उसके दो साथी बाद में पकड़े गए। पूछताछ के बाद पुलिस को इस फंड के नाम पर चल रहे गोरखधंधे का पता चला तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आर्इं। हरिद्वार के ज्वालापुर थाने से कुछ कदम की दूरी पर मुसलिम फंड का दफ्तर खुला हुआ था। पकड़े गए ठगों से पूछताछ में पुलिस को जानकारी मिली कि फंड का संचालक हजारों आम लोगों की कई साल की जमा की गई पूंजी लेकर फरार हुआ था।
उसने लोगों को धनराशि देने के नाम पर गिरवी के तौर पर जो सोने चांदी के आभूषण अपने पास रखे थे। पुलिस को पता चला कि फंड के नाम पर गोरखधंधा करने वाला यह गिरोह काले धन को सफेद करने तथा रद्द किए गए पुराने नोटों को बदलने काभी काम करता था। इसने काले धन को सफेद करने की एक बड़ा सौदा किया था जिसमें 20 करोड़ का मुनाफा सीधे-सीधे होना था। रातोंरात करोड़पति से अरबपति बनने का सपना देखने वाले फंड के मुख्य संचालक अब्दुल रज्जाक इस लालच में बुरी तरह फंस गया। इस धंधे के तार लंदन तक जुड़े हुए हैं।
विशेष टीमें की गई गठित
हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि अब तक इस मामले में मुख्य अभियुक्त के अलावा उसके दो साथियों की गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने अभी तक मुख्य अभियुक्त तथा संदिग्ध सहयोगियों के 23 बैंक खाते सीज किए हैं। फंड के नाम पर हासिल की गई चल-अचल संपत्ति का ब्योरा भी जुटाया जा रहा है। इस गोरखधंधे का खुलासा करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने छह पुलिस टीमों का गठन किया और तब जाकर धंधे का खुलासा हुआ।
ऐसे खुलासा हुआ गोरखधंधे का
बीती 21 जनवरी को हरिद्वार जिले के इब्राहिमपुर गांव के रहने वाले वसीम ने फंड के संचालक संस्थापक अब्दुल रज्जाक के खिलाफ ज्वालापुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई और इसमें फंड के बैंक खाते में उसके द्वारा दो करोड़ 81 लाख तथा अन्य हजारों लोगों द्वारा जमा कराई गई करोड़ों रुपए रकम लेकर फरार होने का आरोप लगाया गया। इस पर पुलिस ने फंड के संचालक संस्थापक अब्दुल रज्जाक और उसके अन्य साथियों के खिलाफ ठगी और फरार होने का मुकदमा दर्ज किया।
संचालक अब्दुल रज्जाक ने फंड का नाम कबीर म्युचल बैनिफिट लिमिटेड के नाम पर रखा हुआ था। यह फंड 1998 से संचालित किया जा रहा था जिसे 2020 में कबीर म्युचल बैनिफिट लिमिटेड के रुप में कापोर्रेट मंत्रालय से मान्यता प्राप्त मिली थी। फंड के तथाकथित बैंक में 13 हजार 382 सक्रिय खाते पाए गए, जिनमें 8716 खातों में 500 रुपए से कम धनराशि होना पाया गया।
12 फीसद ब्याज का झांसा
बैंक में पाई गई कुल जमाराशि में से 1.5 करोड रुपए की धनराशि फंड के मुख्य संचालक और मुख्य अभियुक्त अब्दुल रज्जाक के द्वारा लोगों का सोना गिरवी रखकर उन्हें 12 फीसद सालाना ब्याज पर देने की बात सामने आई है। पुराने नोटों के बदलने के धंधे भी लगा था अब्दुल रज्जाक। हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि अब्दुल रज्जाक उसके परिवार व उसके सहयोगियों के 23 बैंक खाते सीज किये जा चुके हैं इसके अलावा इनके द्वारा अर्जित चल अचल संपत्ति का विवरण जुटाया जा रहा है। जांच के दौरान पाया गया कि मुस्लिम फंड में जमा धनराशि जो कि लोग बगैर ब्याज लिये जमा करा रहे थे उस धनराशि को अभियुक्त अब्दुल रज्जाक व उसके साथी प्रोपर्टी की खरीद फरोख्त कर उससे अपने निजी हित में लाभ अर्जित कर रहे थे ।
अब्दुल रज्जाक के मुस्लिम फंड में एक हिस्ट्रीशीटर और कई बड़े-बड़े रईसों की मोटी रकम जमा थी मुख्य आरोपी अब्दुल रज्जाक 2013 से मुस्लिम फण्ड में जमाकराई गयी रकम को हरिद्वार के सराय गांव के अपने साथियों नसीम उर्फ मुन्ना और मशरूर पुत्र इरसाद अली के साथ मिलकर ज्वालापुर के आस-पास प्रोपर्टी की खरीद फरोख्त कर खासा मुनाफा कमा रहा था। इस दौरान अब्दुल रज्जाक को अपनेउपरोक्त दोनों साथियों पर विश्वास हो गया साथ ही नसीम उर्फ मुन्ना व मशरूर को भी अब्दुल रज्जाक के पास मुस्लिम फण्ड में अच्छी खासी धनराशि जमा होने की बात पता लग गयी जिससे वह हमेशा मोटी रकम कमाने के लिए लालायित रहता था।