Avalanche in Uttarkashi Uttarakhand: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत शिखर पर हिमस्खलन में फंसे आठ और पर्वतारोहियों को बुधवार को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में ले जाया गया। इन सभी लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। घटना में घायल हुए कुल 14 लोगों को अब तक निकाला जा चुका है। 26 साल की सविता कंसवाल भी उन लोगों में शामिल थीं, जिन्होंने हिमस्खलन में अपनी जान गंवाई।
हिमस्खलन में बचाए गए नेहरू इंस्टीट्यूट के प्रशिक्षु पर्वतारोहियों और प्रशिक्षकों का एक समूह बुधवार को उत्तरकाशी के मतली पहुंचे जहां उनका प्राथमिक उपचार किया जा रहा है। इन लोगों को उत्तरकाशी के मतली स्थित 12वीं बटालियन आईटीबीपी में हेलिकॉप्टर के जरिए निकाला गया। द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी पर मंगलवार को हुए हिमस्खलन में फंसे 34 प्रशिक्षु पर्वतारोहियों और सात प्रशिक्षकों की टीम में से दस की मौत हो गई है। ये लोग पर्वतारोहण के बाद वापस लौट रहे थे, तभी वहां हिमस्खलन शुरू हो गया था।
पर्वतारोही सविता कंसवाल की मौत: इस हादसे में उत्तरकाशी के लोंथरु गांव की रहने वाली पर्वतारोही सविता कंसवाल की भी मौत हो गई है। सविता कंसवाल ने मई 2022 में सिर्फ 16 दिन के अंदर माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू पर्वत का विजय हासिल कर नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। वह केवल 16 दिनों में माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थीं और एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।
माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू पर फहराया था तिरंगा: संस्थान में एक प्रशिक्षक, सविता कंसवाल ने 12 मई को माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) पर चढ़ाई की। 28 मई को, उसने दुनिया की पांचवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मकालू (8485 मीटर) पर चढ़ाई की। सविता ने बेहद कम समय में पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपना नाम बनाया था। सविता ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स किया था। वह संस्थान की एक कुशल प्रशिक्षक थी।
सविता के निधन की खबर सामने आने पर उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया, “द्रौपदी का डांडा-2 पर्वत चोटी में हुए हिमस्खलन की चपेट में आने से हिमालय पुत्री सविता कंसवाल जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। उन्होंने मई में ही माउंट एवरेस्ट फतह किया था।”