भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में अपने अध्यक्ष की घोषणा कर दी है। पार्टी ने उत्तराखंड प्रदेश के अध्यक्ष के लिए महेंद्र भट्ट के नाम की घोषणा की है। महेंद्र भट्ट की लोकप्रियता गढ़वाल और कुमाऊं दोनों ही क्षेत्रों में है और वह बद्रीनाथ और नंदप्रयाग विधानसभा से विधायक भी रह चुके हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर चिट्ठी जारी हुई, जिसमें उनके नाम की घोषणा की गई।

उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष का एलान बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह की ओर से जारी चिट्ठी में किया गया। 30 जुलाई यानी शनिवार को जारी हुई इस चिट्ठी में लिखा है, “बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महेंद्र भट्ट को उत्तराखंड बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी।” चुनाव खत्म होने के बाद ही पार्टी में बदलाव को लेकर अटकलें तेज़ हो गई थी।

उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी नए पार्टी अध्यक्ष को ट्वीट कर बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “बद्रीनाथ विधानसभा से पूर्व विधायक श्री महेंद्र भट्ट को शीर्ष नेतृत्व द्वारा उत्तराखण्ड बीजेपी का अध्यक्ष बनाए जाने पर हार्दिक बधाई। निश्चित तौर पर आपके मार्गदर्शन में प्रदेश संगठन को एक नई मजबूती प्राप्त होगी। मैं प्रभु बदरीनाथ जी से आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।”

कौन हैं महेंद्र भट्ट?

महेन्द्र भट्ट 1991 से लेकर 1996 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सह सचिव और 1994 से 1998 तक एबीवीपी में विभाग संगठन मंत्री (टिहरी विभाग) रह चुके हैं। महेन्द्र भट्ट 1998 से 2000 बीजेपी युवा मोर्चा के प्रदेश सचिव और 2000 से 2002 तक महासचिव और 2002 से 2004 तक भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वह 2002 से 2007 तक नंदप्रयाग और 2017 से 2022 तक बद्रीनाथ से विधायक रह चुके हैं। 2022 मे बद्रीनाथ से विधानसभा चुनाव हार गए।

महेंद्र भट्ट ने बुधवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी की थी और तभी से यह अटकलें लगाईं जा रही थी कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इससे पहले राज्य में बीजेपी के अध्यक्ष मदन कौशिक थे। कौशिक वर्तमान में हरिद्वार विधानसभा सीट से विधायक भी हैं।

मार्च महीने में उत्तराखंड विधानसभा चुनाव समाप्त हुए थे, जिसमें बीजेपी को भारी जीत प्राप्त हुई है। उत्तराखंड की 70 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 47 विधायक विधानसभा में पहुंचे थे। कांग्रेस को सिर्फ 19 सीटों पर विजय प्राप्त हुई। आम आदमी पार्टी भी पहली बार उत्तराखंड का विधानसभा चुनाव लड़ रही थी, लेकिन पार्टी को सफलता हाथ नहीं लगी।