उत्तराखंड के चंपावत विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है। यह सीट भाजपा के मौजूदा विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए खाली की है। धामी ने कैलाश चंद्र गहतोड़ी के आग्रह को स्वीकार किया है और इस सीट पर लड़ने का मन बनाया है। कैलाश कहते हैं कि धामी के चंपावत से विधायक बनने पर इस सीमांत क्षेत्र का विकास होगा और पहाड़ों से पलायन रुकेगा।
माना जा रहा है कि मई में चंपावत सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच घमासान होगा। देश प्रदेश के हर व्यक्ति की निगाह इस सीट पर है क्योंकि चंपावत विधानसभा क्षेत्र के लोग मुख्यमंत्री का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे। 10 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा के नतीजे आए और धामी खटीमा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए तो चंपावत के भाजपा विधायक गहतोड़ी ने सबसे पहले मुख्यमंत्री धामी के लिए अपनी विधानसभा सीट चंपावत को छोड़ने की पेशकश की। उसके बाद 12 से ज्यादा भाजपा विधायकों ने धामी के लिए सीट छोड़ने का प्रस्ताव रखा।
मुख्यमंत्री ने भाजपा आलाकमान पर यह छोड़ दिया कि वह उन्हें जहां से चुनाव लड़ाएगा वे वहां से चुनाव लड़ेंगे। आलाकमान से हरी झंडी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने सबसे सुरक्षित सीट चंपावत से चुनाव लड़ने का फैसला किया। इस बीच, गहतोड़ी ने मुख्यमंत्री के साथ चंपावत जाकर पूर्णागिरि देवी और गोरक्षनाथ जी की पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री का चंपावत पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। कुछ दिन पहले जब मुख्यमंत्री चंपावत किसी कार्यक्रम में गए थे, तब उन्होंने वहां से चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे।
वैसे धामी को धारचूला विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हरीश धामी ने भी चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया था। उनके लिए यह सीट खाली करने का ऐलान किया था। क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी ने इस सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है परंतु राज्य में उत्तराखंड क्रांति दल का अस्तित्व ही खतरे में है, इसलिए चंपावत विधानसभा सीट भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही है। तब भी भाजपा ने जीत हासिल करने के लिए संगठन स्तर पर व्यापक कार्ययोजना बनाई है।
पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने इस सीट को लेकर मंथन किया और रणनीति बनाई। संतोष ने राज्य की अन्य सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में हुई हार की भी समीक्षा की। सूत्रों के मुताबिक संतोष के सामने पार्टी के कई पूर्व और मौजूदा विधायकों ने कई महत्त्वपूर्ण पदाधिकारियों पर खटीमा विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री धामी के साथ भितरघात करने का आरोप लगाया।कुमाऊं मंडल की चंपावत विधानसभा सीट एकाएक अब राज्य की अत्यधिक महत्त्वपूर्ण और अति विशिष्ट सीट बन चुकी है क्योंकि धामी नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगने वाली इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।
पहली बार चंपावत के लोग मुख्यमंत्री को चुनेंगे। चंपावत विधानसभा सीट से अब तक दो-दो बार कांग्रेस और भाजपा विधानसभा चुनाव जीत चुकी हैं। वैसे चंपावत जिले में 2 विधानसभा की सीटें आती हैं जिनमें चंपावत और लोहाघाट विधानसभा सीटें हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में दोनों सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी परंतु इस बार भाजपा केवल चंपावत सीट ही जीत पाई और लोहाघाट सीट कांग्रेस की झोली में चली गई।
भाजपा का दबदबा
उत्तराखंड राज्य बनने पर 2002 में जब विधानसभा के पहले चुनाव हुए तब इस सीट पर कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल विधायक चुने गए थे। 2007 में भाजपा की वीणा महाराणा ने कांग्रेस के मौजूदा विधायक हेमेश खर्कवाल को चुनाव हराया था। 2012 में कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल ने फिर से भाजपा उम्मीदवार वीणा महाराणा को चुनाव हरा कर अपना हिसाब-किताब चुकता कर लिया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट से पार्टी की पूर्व विधायक वीणा महाराणा की जगह कैलाश चंद्र गहतोड़ी को पार्टी का उम्मीदवार बनाया और वे कांग्रेस उम्मीदवार तब के मौजूदा विधायक हेमेश खर्कवाल को चुनाव हराकर पहली बार विधायक बने। उन्होंने 2022 के चुनाव में फिर से कांग्रेस के उम्मीदवार हेमेश खर्कवाल को लगातार दूसरी बार चुनाव हराया।
2017 के मुकाबले 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट फीसद घटा है और कांग्रेस का वोट फीसद बढ़ा है। 2017 में भाजपा को चंपावत विधानसभा सीट में 62.30 फीसद तथा कांग्रेस को 32.75 फीसद वोट पड़े थे जबकि भाजपा को 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 50.26 फीसद और कांग्रेस को 42.07 फीसद वोट पड़े। 2017 के मुकाबले कांग्रेस का इस सीट पर लगभग दस फीसद वोट बढ़ा है।