जिले के विकासनगर क्षेत्र में एक स्कूल के छात्रावास में दिल्ली की रहने वाली एक नाबालिग छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार का आरोप चार छात्रों पर लगाया गया है। पीड़िता के परिजनों की शिकायत पर इन छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस बीच मामले को रफा-दफा करने के मामले में अब तक पुलिस ने स्कूल की निदेशिका लता गुप्ता, प्रधानाचार्य जितेंद्र शर्मा, प्रशासनिक अधिकारी दीपक मल्होत्रा, उसकी पत्नी तन्नू, स्कूल की सहायिका मंजू समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। उधर चारों आरोपी छात्रों को उनके अभिभावकों ने मंगलवार को किशोरों की न्यायिक अदालत में पेश किया।
पुलिस का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोग इस मामले में साक्ष्य मिटाने में लगे थे। इतना ही नहीं, आरोपी लोग पीड़िता का गर्भपात करवाकर मामले को रफा-दफा करने की साजिश रच रहे थे। उन्होंने गर्भपात के लिए पीड़िता को एक डॉक्टर से कुछ दवाएं भी दिलवाई थीं। दवाओं से जब गर्भपात नहीं हुआ तो पीड़िता को गुपचुप तरीके से अस्पताल में भर्ती करवाकर गर्भपात करवाने की तैयारी की जा रही थी। पुलिस ने गर्भपात करने वाले डॉक्टर की तलाश में उसके घर और क्लीनिक में छापेमारी की, परंतु वह फरार हो गया। देहरादून की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने बताया कि स्कूल की निदेशिका को इस मामले की सारी जानकारी थी। सामूहिक बलात्कार की पीड़ित छात्रा ने स्कूल की सहायिका से लेकर निदेशिका तक को इस मामले की जानकारी दी थी। इन सबने आरोपी छात्रों पर कोई कार्रवाई करने के बजाय पीड़िता को ही डांटा-डपटा और उसी की गलती बताई। साथ ही उसे स्कूल से निकालने की धमकी भी दी। डर के मारे छात्रा एक महीने तक चुप रही और जैसे-तैसे यह मामला स्कूल की चारदीवारी से बाहर निकलकर पुलिस के पास पहुंचा और उसने इस मामले में कार्रवाई की। यह मामला 14 अगस्त का है। इधर सीबीएसई ने भी स्कूल प्रबंधन को नोटिस भेज दिया है।
वारदात 14 अगस्त की, आरोप चार नाबालिग छात्रों पर, चारों आरोपी छात्र किशोर अदालत में पेश
मामले को रफा-दफा करने के मामले में अब तक पुलिस ने स्कूल की निदेशिका लता गुप्ता, प्रधानाचार्य जितेंद्र शर्मा, प्रशासनिक अधिकारी दीपक मल्होत्रा, उसकी पत्नी तन्नू, स्कूल की सहायिका मंजू समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
एसएसपी ने बताया
देहरादून की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने बताया कि स्कूल निदेशिका को इस मामले की सारी जानकारी थी। पीड़ित छात्रा ने स्कूल की सहायिका से लेकर निदेशिका तक को मामले की जानकारी दी थी। इन सबने आरोपी छात्रों पर कोई कार्रवाई करने के बजाय पीड़िता को ही डांटा-डपटा और उसी की गलती बताई। साथ ही उसे स्कूल से निकालने की धमकी भी दी। डर के मारे छात्रा एक महीने तक चुप रही। जैसे-तैसे यह मामला स्कूल से बाहर निकलकर पुलिस के पास पहुंचा तो उसने कार्रवाई की।

