सुनील दत्त पांडेय

उत्तराखंड के जंगलों में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2018 में बाघों की गणना के बाद अब सूबे में इनकी संख्या बढ़कर 442 हो गई है, जो 2014 की गणना से 102 ज्यादा है। 2014 में उत्तराखंड में 340 बाघ थे। बाघों की संख्या के मामले में उत्तराखंड मध्यप्रदेश और कर्नाटक के बाद तीसरे नंबर पर है। जबकि राज्य के क्षेत्रफल के घनत्व के हिसाब से उत्तराखंड पहले स्थान पर है। वहीं सभी टाइगर रिजर्व पार्कों में बाघों की तादाद के हिसाब से जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व पार्क पहले स्थान पर है। उत्तराखंड के जंगलों में 2006 में 179 और 2010 में 227 बाघ थे। बारह साल में उत्तराखंड में बाघों की संख्या में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है। उत्तराखंड के वन विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती बाघों के आश्रय स्थलों को वन माफिया से बचाना है। अवैध रूप से जंगलों में शिकार करने वाले वन्य जीव तस्करों से भी बाघों की हिफाजत करना एक बड़ी चुनौती है। वहीं जंगल के समीप बसे गांवों में बाघों की बढ़ी आबादी के कारण वन्य जीव और मानव संघर्ष में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

पिछले दिनों जिम कार्बेट पार्क की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के पीलीभीत क्षेत्र में एक बाघिन को गांव वालों ने सामूहिक रूप से हमला करके मार दिया था। 2016 में उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में बाघों की पांच खाले पकड़ी गई थीं। जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व पार्क और राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं और यहां वन्य जीव तस्कर और वन माफिया काफी सक्रिय है। जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व पार्क सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है और 1936 में इसकी स्थापना बाघों के अस्तित्व को बचाने के लिए हैली राष्ट्रीय पार्क के तौर पर की गई थी। बाद में इस पार्क को बसाने में अहम भूमिका निभाने वाले जिम कार्बेट के नाम पर रखा गया। यह पार्क नैनीताल जिले के रामनगर नगर क्षेत्र के पास है। बाघ परियोजना के तहत आने वाला यह पहला पार्क है।

यह पार्क राम गंगा की पातलीदून घाटी में 1318.54 वर्ग किलोमीटर में बसा हुआ है जिसके तहत 821.99 वर्ग किलोमीटर का जिम कॉर्बेट बाघ संरक्षित क्षेत्र है। वहीं 820 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला राजाजी राष्ट्रीय पार्क की स्थापना 1983 में की गई थी और इसे 2015 में बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए राजाजी राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व पार्क घोषित किया गया। ‘उत्तराखंड के जंगलों का वातावरण बाघों के अनुकूल है। हालांकि जंगल के आसपास जिस तरह आबादी का दबाव बढ़ रहा है, वह एक बड़ी चुनौती है। साथ ही वन्य जीव और मानव संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को कारगर उपाय करने होंगे, ताकि बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।’
-राजेन्द्र कुमार अग्रवाल, वन्य जीव विशेषज्ञ

राज्य सरकार ने बाघों की सुरक्षा के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। राज्य की भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियां बाघों समेत अन्य वन्य जीवों के अनुकूल है। राज्य में बाघों की तादाद बढ़ने से राज्य का नाम राष्ट्रीय फलक पर तेजी से उभरा है। जो राज्य के लिए गौरव की बात है।
-हरक सिंह रावत, उत्तराखंड के वन मंत्री

राज्य में बाघों की संख्या में जो बढ़ोतरी हुई है वह वन विभाग की चौकस सुरक्षा व्यवस्था और जन सहयोग के कारण हुआ है। बाघों की संख्या और बढ़ेगी। अब हमारा लक्ष्य अगली गणना के समय पूरे देश में सर्वोच्च स्थान हासिल करने का रहेगा।
-जयराज, उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक