उत्तराखंड के चमोली में हुए हादसे के बाद कई भयानक तस्वीरें अब तक सामने आ चुकी हैं। अब तपोवन टनल से सुरक्षित निकाले गए लोगों की आपबीती सामने आ रही है। इस टनल से जिंदा निकलने वाले लोगों ने बताया है कि घुप्प अंधेरे टनल में वो लोहे के रॉ़ड को पकड़ कर करीब 4 घंटे तक लटके रहे। नीचे बर्फीला पानी था। इस पानी से खुद को बचाने के लिए वो लटके रहे। Tapovan-Vishnugad NTPC Hydel Power Project पर टनल के अंदर काम कर रहे लोगों में से जिंदा बाहर आए 12 लोगों ने बताया कि उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी कि वो अब टनल के अंदर से जिंदा लौटेंगे, लेकिन एक मोबाइल फोन उनके लिए भगवान का दिया तोहफा बन गया।
टनल से जिदा लौटे 26 साल के बसंत बहादुर का कहना है कि अक्सर टनल के अंदर मोबाइल का नेटवर्क नहीं रहता है। लेकिन रविवार को 2 मिनट के लिए टनल के अंदर मोबाइल का नेटवर्क आ गया और इतना समय काफी था अपने अधिकारियों को फोन करने के लिए।
इस टनल के अंदर से बचाए गए 50 साल के के.श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि दो दिनों की बारिश और बर्फबारी के बाद रविवार को मौसम साफ था। ऐसा नहीं लग रहा था कि काफी बारिश हुई थी। हमने कभी इसकी उम्मीद नहीं की थी। हमने सुना था कि लोग आवाज दे रहे हैं और हमसे कह रहे हैं कि टनल से बाहर आइए। हम सभी ने दौड़ कर बाहर निकलने की कोशिश की थी लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी, पानी और मलबा अंदर घुस चुका था औऱ हम सभी अंदर फंस गए।
जोशीमठ के ITBP Hospital में इलाज कर रहे रेड्डी ने कहा कि हम लोहे के रॉड के पकड़ कर काफी देर तक लटके रहे। आंध्र प्रदेश के श्रीसायलम के रहने वाले रेड्डी ने बताया कि साइट पर काम कर रहे ज्यादातर मजदूर नेपाल के रहने वाले है। टनल के अंदर फंसने के बाद हम सभी मदद पहुंचने का इंतजार कर रहे थे। हम वहां सिर्फ इसलिए बचे हुए थे क्योंकि हम टनल के छत पर लगे लोहे के रॉड को पकड़ कर लटके हुए थे। टनल 3 मीटर चौड़ा और 6 मीटर ऊंचा था। जल्दी ही वहां पानी भरना शुरू हो गया और यह पानी काफी बर्फीला था। पानी हमसे सिर्फ 2 मीटर नीचे था, लिहाजा हम लटके रहने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते थे। रेड्डी ने बताया कि अस्पताल में आने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों से कहा कि अब सब ठीक है। हालांकि उनके परिजनों ने उनसे कहा कि टीवी पर उन्होंने भयानक मंजर देखा था।
टनल के अंदर काम कर रहे एक अन्य मजदूर बसंत ने बताया कि वो तपोवन में तीन साल से काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सुबह करीब 8 बजे से काम शुरू हुआ था। करीब 10.30 बजे उन्होंने तेज आवाज सुनी। लेकिन हमें बाहर निकलने का मौका नहीं मिला क्योंकि पानी और मलबा काफी तेज गति से टनल के अंदर आया था। लेकिन टनल के अंदर एक छोटा सा छेद था जहां से रोशनी आ रही थी, हो सकता है मोबाइल को नेटवर्क भी वहीं से मिला हो। एक बार जब हमने अपने अधिकारियों को फोन कर दिया तब 2-3 घंटे में राहत टीम हम तक पहुंच गई। उन्होंने रस्सी के सहारे हमें वहां से निकाला।
अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया है कि बचाए गए लोगों में से किसी को भी गंभीर चोट नहीं आई है। हालांकि काफी देर तक यह लोग मानसिक तनाव में जरुर रहे लेकिन फिलहाल इनकी हालत ठीक है।