जय मजूमदार

Joshimath Land Sinking Uttarakhand: उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath in Uttarakhand) में कई घरों में दरारें आई हैं और सरकार राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई है। वहां रहने वाले लोग परेशान हैं और अपने जीवन और घर को लेकर चिंतित हैं। बीते पांच जनवरी को एनटीपीसी की 4×130 मेगावाट तपोवन विष्णुगढ़ हायडल परियोजना (Tapovan Vishnugad hydel project) के खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किया और इसके बाद इसका काम बंद कर दिया गया। लोगों का मानना है कि इस प्रोजेक्ट के कारण जोशीमठ में जमीन धंस रही है। वहीं एनटीपीसी ने इन आरोपों का खंडन किया है।

सुरंग Joshimath town के नीचे से नहीं गुजरती- NTPC

एनटीपीसी (NTPC) ने एक बयान में कहा, “एनटीपीसी द्वारा निर्मित सुरंग जोशीमठ शहर (Joshimath town) के नीचे से नहीं गुजरती है। यह टनल एक टनल बोरिंग मशीन (TBM) द्वारा खोदी गई है और वर्तमान में कोई ब्लास्टिंग नहीं की जा रही है। सुरंग नदी के पानी को संयंत्र की टरबाइन तक ले जाने के लिए है।”

कंपनी ने जो उल्लेख नहीं किया वह यह है कि उसके TBM के उल्लंघनों का इतिहास रहा है। द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक्सेस किए गए आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि दिसंबर 2009 के बाद से तपोवन विष्णुगढ़ हायडल परियोजना की सुरंग के अन्दर जाने के बाद TBM चट्टान में टूट जाती है।

2009 में हुई थी घटना

दरअसल दिसंबर 2009 में TBM 900 मीटर की गहराई में फंस गया था और इसके कारण हाई प्रेशर बना था और पानी सतह पर आ गया था। इसके बाद शहर में पेयजल की समस्या आई थी और फिर नागरिकों के विरोध के कारण 2010 में एनटीपीसी स्थानीय निवासियों की मांगों पर सहमत हुआ था। उस वर्ष एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक एमपीएस बिष्ट और पीयूष रौतेला (MPS Bisht and Piyoosh Rautela) ने करेंट साइंस में लाल झंडी दिखा दी थी कि इसका स्थायी प्रभाव कैसे हो सकता है। उनके अनुसार TBM के कारण हुई ऐसे घटनाओं से जमीन धंसने की स्थिति शुरू हो सकती है।”

रविवार को इंडियन एक्सप्रेस द्वारा संपर्क किए जाने पर पीयूष रौतेला (अब उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन और शमन केंद्र के कार्यकारी निदेशक) ने बताया कि नए भूमि धंसाव ‘जलभृत उल्लंघनों के कारण होने की संभावना है क्योंकि हम गंदे पानी को बाहर निकलते हुए देख रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इस बार भी सुरंग के साथ कोई लिंक है, उन्होंने कहा कि इसे हाइडल टनल से जोड़ने या हटाने के लिए अभी तक कोई सबूत नहीं है। (यह भी पढ़ें: जोशीमठ को आपदा संभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है।)

चारधाम परियोजना पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त High-powered Committee के सदस्य डॉ. हेमंत ध्यानी ने कहा, “जब दिसंबर 2009 में एनटीपीसी के TBM की वजह से जलभृत प्रवेश ने जोशीमठ में पानी की स्थिति को प्रभावित किया, तो कंपनी यह कैसे दावा कर सकती है कि वर्तमान परियोजना सुरंग को उस भू-धंसाव से नहीं जोड़ा जा सकता है जिसे हम अभी देख रहे हैं? केवल एक पानी का परीक्षण ही बता सकता है कि क्या शहर में जलविद्युत सुरंग से धाराएं निकल रही हैं।” संपर्क करने पर एनटीपीसी के एक प्रवक्ता (NTPC spokesperson) ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि जल्द ही एक सार्वजनिक बयान दिया जाएगा।

प्रोजेक्ट में हो रही देरी

मूल रूप से 2012-13 में चालू होने के लिए निर्धारित तपोवन विष्णुगढ़ हायडल परियोजना दुर्घटनाओं के कारण लगभग एक दशक से देरी से चल रही है। एनटीपीसी ने 2006 के अंत में परियोजना पर काम शुरू किया कंपनी ने सिविल वर्क के लिए लार्सन एंड टुब्रो (India) और एल्पाइन मेयरेडर बाऊ (Austria) का सहारा लिया और टीबीएम कार्य में सहायता के लिए एक सलाहकार के रूप में जिओकंसल्ट (ऑस्ट्रिया) को कमीशन किया।