उत्तराखंड सरकार ने स्कूली बच्चों पर बस्ते का बोझ हटाने का फैसला किया है। सरकार का मानना है कि बच्चे पर भारी बोझ से उनके सीखने-समझने की क्षमता कम होती है। ऐसे में यह बोझ कम किया जाना चाहिए। इसके लिए सरकार ने अनोखा तरीका निकाला है। राज्य के सभी स्कूलों में हर महीने 10 “बैग-मुक्त” दिन शुरू करने का फैसला किया है। यह पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुरूप शुरू की गई है।

अप्रैल से शुरू होने वाले सत्र में यह नियम लागू होगा

राज्य के शिक्षा मंत्री ने मंगलवार को राज्य भर के स्कूलों में बैग-मुक्त दिन शुरू करने के विभागीय प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अधिकारियों ने बताया कि इस संबंध में सरकारी आदेश जारी होने के बाद इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अप्रैल से शुरू होने वाले आगामी शैक्षणिक सत्र से बैग-मुक्त दिनों की शुरुआत की जाएगी।

कक्षा 6 से 12 तक सभी कक्षाओं के लिए यह नियम होगा

सरकारी की ओर से कहा गया है कि प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक प्रत्येक महीने के आखिरी शनिवार को सभी उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय एक बैग-मुक्त दिवस मनाएंगे। सरकार के निर्देश में कहा गया है कि ऐसे दिनों में छात्र बिना किताबों के स्कूल जाएंगे और अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार विभिन्न गतिविधियों में शामिल होंगे।

‘बैग-फ्री’ दिनों में छात्रों को मृदा प्रबंधन, मशीन लर्निंग, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी का काम, सुलेख, स्वास्थ्य शिक्षा, संचार कौशल, प्रकृति संरक्षण, वेल्डिंग, कास्टिंग, सिलाई और रोबोटिक्स सिखाया जाएगा। राज्य के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने एक बयान में कहा, “यह निर्णय स्कूली बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए लिया गया है, ताकि वे अपनी पढ़ाई के अलावा अपने विशेष कौशल को भी उन्नत कर सकें, जिसके लिए उनमें जन्मजात प्रतिभा है।”

यह योजना उत्तराखंड के प्राथमिक विद्यालयों में पहले से ही लागू है। उसमें ऐसे दिनों को “प्रतिभा दिवस” ​​के रूप में मनाया जाता है और छात्रों को अपनी पसंद की गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति दी जाती है। अभिभावकों और शिक्षकों के विभिन्न संघों ने राज्य सरकार के फैसले को छात्रों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।