उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार को समर्थन दे रहे प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) के नेताओं ने राहुल गांधी से मांग की है कि किशोर उपाध्याय को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया जाए वरना वे रावत सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे। पीडीएफ के नेताओं ने कांग्रेस की केंद्रीय प्रभारी अंबिका सोनी को राहुल गांधी के नाम चिट्ठी भेजी है। इसमें किशोर उपाध्याय पर उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार को कमजोर करने का आरोप लगाया गया है। पीडीएफ के नेताओं ने राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा है।

माना जा रहा है कि उत्तरप्रदेश के दौरे के बाद राहुल गांधी पीडीएफ के नेताओं से मिलेंगे। पीडीएफ के नेता दिनेश धनै और मंत्री प्रसाद नैथानी ने किशोर उपाध्याय के खिलाफ सीधे-सीधे मोर्चा खोल दिया है। मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि वे राहुल गांधी से मिलकर किशोर उपाध्याय को प्रदेश कांग्रेस पद से हटाने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा कि चुनाव सिर पर है और किशोर उपाध्याय पीडीएफ को लेकर जो विवाद पैदा कर रहे हैं, उससे रावत सरकार की स्थिरता पर सवाल उठ रहे हैं।

दरअसल किशोर उपाध्याय, दिनेश धनै और मंत्री प्रसाद नैथानी तीनों ही नेता टिहरी जिले के रहने वाले हैं। इसलिए तीनों में टिहरी जिले की राजनीति को लेकर ठनी हुई है। दिनेश धनै ने 2012 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर किशोर उपाध्याय को विधानसभा चुनाव हराया था। यह हार किशोर उपाध्याय अब तक नहीं पचा पाए। इस वजह से किशोर उपाध्याय बार-बार पीडीएफ पर प्रहार कर रहे हैं ताकि रावत सरकार कमजोर हो।

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पीडीएफ का बचाव करते हुए रविवार को दो टूक शब्दों में कहा कि पीडीएफ से समर्थन लेकर सरकार बनाने का फैसला कांग्रेस हाईकमान का था न कि उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस का। रावत ने पीडीएफ के नेताओं को संकट का साथी बताते हुए कहा कि कांग्रेस के संस्कार बुरे वक्त के साथी को छोड़ने का नहीं है। उधर रावत सरकार के दो मंत्री इंदिरा ह्दयेश और नव प्रभात ने कहा कि पीडीएफ ने कांग्रेस का बुरे वक्त में साथ दिया है। इसलिए पीडीएफ को कांग्रेस कतई नहीं छोड़ेगी।
किशोर उपाध्याय ने कहा कि पीडीएफ के मामले को उन्होंने अंबिका सोनी के सामने विस्तार से रख दिया है। उन्होंने कहा कि अब हाईकमान ही पीडीएफ के बारे में कोई निर्णय लेगा।