उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आशंका जताई है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार कभी भी देश में आपातकाल लगा सकती है। वह मीडिया की लिखने की और आम जनता की बोलने की आजादी पर अंकुश लगा सकती है। देश का लोकतंत्र भारी संकट के दौर से गुजर रहा है।  रावत हरिद्वार में रविवार को जनता पार्टी के राज में जेल गए कांग्रेसियों के सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने किया था। रावत ने कहा कि केंद्र सरकार निरंकुश हो गई है। वह जम्हूरियत के खिलाफ है। इस सरकार का लोकतंत्र पर कतई विश्वास नहीं है। इंदिरा गांधी को याद करते हुए रावत ने कहा कि इंदिरा गांधी ने बैंकों का सरकारीकरण कर गरीबी दूर करने का प्रयास किया। कांग्रेस हमेशा गरीबों के दुख-दर्द में साथ रही। गरीब आदमी कांग्रेस को विचारधारा से अपने नजदीक पाता है जबकि आम आदमी भाजपा को पूंजीपतियों की पार्टी मानता है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार अडाणी और अंबानी की सरकार है। रावत ने देश की जनता और गैर-भाजपाई राजनीतिक दलों को आगाह करते हुए कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक मंच पर आएं। हमें यह चिंता नहीं है कि कांग्रेस रहे या न रहे लेकिन देश में लोकतंत्र जीवित रहना चाहिए।

उन्होंने कहा- मोदी सरकार हर मोर्चे पर नाकाम है। देश की सीमाएं अशांत हैं। महंगाई की मार से जनता त्रस्त है। देश के अंदरूनी हालात ठीक नहीं हैं। ऐसे में एक निरंकुश और नाकाम शासक अपनी सत्ता बचाने के लिए जम्हूरियत का गला घोंटने में भी देर नहीं लगाता है। अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को जिस तरह से गिराने की साजिश रची गई, उससे साफ जाहिर है कि मोदी सरकार लोकतंत्र पर विश्वास नहीं रखती और चुनी हुई सरकारों को गिराकर देश से लोकतंत्र का नामोनिशान मिटाना चाहती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कांग्रेसमुक्त भारत बनाने का सपना लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है। इसलिए देश की जनता को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में लोकतांत्रिक और अलोकतांत्रिक ताकतों में से एक को चुनना है। जनता सोच-समझकर फैसला करे।