उत्तराखंड से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां पर एक फौजी पिता अपने एक साल के बेटे के इलाज के लिए 4 जिलों के 5 अस्पतालों में भटकता रहा। आखिर में बच्चे की मौत हो गई। वहीं अब बच्चे की मौत की जांच शुरू हो गई है। बता दें कि बच्चे को चार ज़िलों के पांच अस्पतालों में रेफर किया गया था और फिर आईसीयू में उसकी मौत हो गई।

डिहाइड्रेशन से पीड़ित था बच्चा

चमोली के ग्वालदम निवासी एक आर्मी ऑफिसर के बेटे शुभांशु जोशी को गंभीर डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखाई देने पर पहले गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया था। वह सुविधाओं में कमी के कारण परिवार को बच्चे को बागेश्वर और अल्मोड़ा के चार अन्य अस्पतालों में ले जाना पड़ा। आखिर में नैनीताल के हल्द्वानी ले जाना पड़ा, जहां छह दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई।

पुष्कर सिंह धामी ने दिए जांच के आदेश

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने X पर लिखा, “बागेश्वर में चिकित्सा में लापरवाही के कारण एक मासूम बच्चे की मृत्यु का समाचार अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ स्तरों पर अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरती गई है। कुमाऊं आयुक्त को तत्काल जांच के आदेश दिए गए हैं। यदि इस मामले में किसी भी स्तर पर लापरवाही या उदासीनता पाई जाती है, तो दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। जनता के विश्वास और जीवन की रक्षा में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी ने क्या कहा?

चमोली के ग्वालदम स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के एक कर्मचारी नारायण देवरारी ने बताया कि बच्चे (शुभांशु जोशी) को 10 जुलाई को दोपहर 1:50 बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया क्योंकि उसे स्तनपान नहीं कराया जा सका था और लगातार उल्टियां कर रहा था। फिर बच्चे को 22 किलोमीटर दूर बागेश्वर के बैजनाथ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रेफर कर दिया गया। कर्मचारी नारायण देवरारी ने बताया, “हमारे पास बच्चे को देखने के लिए कोई बाल रोग विशेषज्ञ नहीं था। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड की सुविधा थी और प्राथमिक उपचार भी किया गया।”

5 अस्पतालों में किया गया रेफेर

बैजनाथ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्चे का इलाज किया गया, लेकिन उसकी हालत बिगड़ने पर केंद्र को उसे 20 किलोमीटर दूर बागेश्वर के जिला अस्पताल रेफर करना पड़ा। जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. कुमार आदित्य तिवारी ने बताया कि बच्चे के मस्तिष्क में ब्लड फ्लो में बाधा आ रही थी और बाल चिकित्सा आईसीयू की कमी के कारण उसे उच्चतर केंद्र रेफर करना पड़ा।

आदित्य तिवारी ने कहा, “हमारे पास न तो न्यूरोलॉजिस्ट है और न ही कार्डियोलॉजिस्ट। अस्पताल में बच्चे के आगे के इलाज के लिए पीआईसीयू भी नहीं था। अगर उसे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलतीं, तो उसकी जान बच सकती थी। घटना की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है और उसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

इसके बाद बच्चे को 68 किलोमीटर दूर अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे फिर से हल्द्वानी के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया। 330 बिस्तरों वाले अल्मोड़ा अस्पताल में दो आईसीयू हैं, जिनमें से एक बाल चिकित्सा देखभाल के लिए है। बच्चे को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 16 जुलाई को उसकी मौत हो गई।

जम्मू-कश्मीर में तैनात शुभांशु के पिता दिनेश जोशी ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ने शाम करीब 7 बजे ज़िला अस्पताल से अल्मोड़ा ले जाने के लिए एम्बुलेंस मंगवाई, लेकिन एक घंटे में भी एम्बुलेंस का इंतज़ाम नहीं हो सका। आखिरकार उन्हें ज़िला मजिस्ट्रेट को फ़ोन करके मदद की गुहार लगानी पड़ी। उन्होंने बताया कि डीएम के आदेश के बाद, रात 9.30 बजे एम्बुलेंस पहुंची।

बच्चे की मां ने क्या कहा?

शुभांशु की मां ने कहा, “जब हम उसे बागेश्वर ले गए, तो डॉक्टर ने कहा कि उसकी हालत गंभीर है। उन्होंने हमें एम्बुलेंस के लिए 108 नंबर पर कॉल करने को कहा। मैंने उन्हें शाम करीब 7 बजे फ़ोन किया, और उन्होंने कहा कि वे 30 मिनट में आ जाएँगे। जब वे नहीं आए, तो मैं एक डॉक्टर के पास गई और उनसे कहा कि मैं असहाय हूं और मेरे पति काम पर गए हुए हैं। उन्होंने मेरे दुख के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया और ज़ोर देकर कहा कि हम उसे हायर सेंटर ले जाएँ।”