सेक्टर- 50 की एक आलीशान कोठी में रहने वाले बुजुर्ग अनिल कुमार इन दिनों खासे परेशान हैं। उनकी परेशानी की वजह यह है उनके यहां चालक के रूप में काम करने वाले दो युवक और घर में काम करने वाली दो घरेलू सहायिका एक साथ तीन दिनों की छुट्टी मांगने की जिद कर रहे हैं।
पूछताछ करने पर पता चला कि सभी कन्नौज जिले के एक ही गांव के रहने वाले हैं। उनके यहां 15 अप्रैल को ग्राम प्रधान का चुनाव है। इस चुनाव में भाग लेने के लिए वे सभी 14 से 16 अप्रैल तक काम नहीं कर अपने गांव जाएंगे। इनके अलावा उन्हीं के गांव एवं आसपास रहने वाले करीब 60 अन्य लोग भी नोएडा में काम करते हैं। उन सभी को मतदान में बुलाने के लिए उनके परिचित ग्राम प्रधान पद के प्रत्याशी ने एसी बस की व्यवस्था की है। यह बस 14 अप्रैल की दोपहर सभी को लेकर कन्नौज के लिए रवाना होगी। रास्ते में भोजन समेत अन्य सभी जरूरतों का प्रबंध भी उसी ग्राम प्रधान पद के प्रत्याशी की तरफ से किया गया है। 15 अप्रैल को मतदान के बाद 16 अप्रैल को उन्हें वहां से दोबारा बस के जरिए नोएडा पहुंचाने का दावा किया गया है।
यह बानगी अकेले अनिल कुमार की नहीं बल्कि औद्योगिक महानगर के पॉश सेक्टरों में रहने वाले ज्यादातर संपन्न और उद्यमियों की है। जिनके यहां काम करने वाले किसी भी हाल में ग्राम प्रधान के मतदान वाले दिन अपने गांव जाने की जिद पर अड़े हैं। कई लोगों ने अपने यहां काम करने वालों को बढ़ते कोरोना संक्रमण, चिलचिलाती गर्मी और आने-जाने में महंगा खर्च होने की दलील देकर ना जाने के लिए मनाने की कोशिश भी की, लेकिन ग्राम प्रधान चुनाव को अपना चुनाव बताकर वे मानने को तैयार नहीं है। उनके आने-जाने का प्रबंध चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी उठा रहे हैं।
नोएडा के अधिकांश सेक्टरों में रहने वालों के घरेलू सहायक और सहायिका, चालक व साफ- सफाई करने वाले लोग हैं। इनमें काफी बड़ी संख्या मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों के रहने वाले हैं।
उद्योगों पर पड़ सकता है असर
शहर के एक उद्यमी संगठन के पदाधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि यूपी पंचायत चुनाव के चलते तकरीबन सभी कारखानों पर तीन से पांच दिनों का असर पड़ेगा। पहले से कोरोना के चलते आर्थिक स्थिति खस्ताहाल है। इसके बीच काम करने वाले अपने गांव जाने के लिए पहले अग्रिम राशि (एडवांस) के रूप में रकम मांग रहे हैं। जानकारों का मानना है कि नौकरी की तलाश में आने वालों का पूरा जुड़ाव अपने मूल स्थान से बना रहता है। रुपए नहीं होने पर वे कर्ज लेकर भी वहां होने वाले त्यौहार, उत्सव और चुनाव आदि में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराना सबसे महत्त्वपूर्ण मानते हैं।