बनारस में भयावह बाढ़ में 10 लोंगो की मौत हो गई है। वाराणसी में 7 लाख बाढ़ प्रभावितों को सरकारी मशीनरी व समाज सेवी संस्थाएं राहत सामग्री बांट रही हैं। लेकिन बाढ़ पीडितों की राहत सामग्री व राहत शिविर में सरकारी खर्च के नाम पर लूट मचा रखी है। गंगा की बाढ़ दो घंटे में एक सेमी. घट रही है। लेकिन परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही है। वरूणा घाट नैपूरा गांव, सामने घाट में तीन लोगों की डूबने से मौत हो गई। जमानियां इलाके में बाढ़ से सात लोगों व 11 बेजुवानों की मौत हो चुकी है।
एनडीआरएफ के महानिदेशक अमरेंद्र सिंह सेंगर ने शनिवार बताया कि बाढ़ में घिरे मुहल्लों, बस्तियों व गांव को लोंगों को हिदायत दी जा चुकी है कि वे बाढ़ के पानी में न उतरें। जवान उन्हें मोटर बोट की सहायता से शिविर कैम्प में पहुंचा रहे हंै। बाढ़ का पानी कम होने के चलते महामारी फैलने की आशंका को देखते हुए उप्र. के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बनारस, बलिया, गाजीपुर, चन्दौली, मिर्जापुर आदि बाढ़ ग्रस्त के जिलों के डीएम को निर्देश दिया है कि वे बाढ़ ग्रस्त इलाकों के राहत शिविरों में हर संभव मदद करें। उन्होंने अतिरिक्त चिकित्सा कैम्प लगाने के निर्देश भी दिए। डीएम विजय किरन आनंद ने जनसत्ता को बताया कि जांच के लिए 126 अधिकारियों को लगाया गया था। बाढ़ राहत शिविरों में व्यापक खामियां मिली हैं, जिन्हें ठीक किया गया है। उन्होंने बताया कि पर्याप्त नाव न होने की वजह से बाढ़ में फसे लोगों तक राहत सामग्री नही पहुंच रही है। वाराणसी के कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने बाढ़ राहत कार्य का जायजा लेने के लिए सेना के हेलिकाफ्टर से आपदा राहत सामग्री का वितरण किया।
बाढ़ से चंदौली जिले के हालत बेकाबू हो चुके हंै। यहां सात लोगों और 11 मवेशियों की जानें गई हंै। गाजीपुर का भी उन्होंने हवाई सर्वेक्षण किया और राहत सामग्री बांटी। कमिश्नर ने शनिवार को बताया कि शासन के निर्देश पर वायु सेना के सहयोग से हेलिकॉप्टर द्वारा सामग्री वितरण किया जा रहा है। वाराणसी में बाढ़ से लोगों को राहत पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना, बीएचयू के स्वयंसेवकों ने बाढ़ पीडितों की मदद के लिए अभियान शुरू कर दिया है।
