18 से 20 घंटे बिजली, वाई-फाई जोन, सीसीटीवी कैमरा और स्ट्रीट लाइटें, ये सब कुछ खूबियां उस गांव की है जिसे भारत का पहला स्मार्ट गांव कहा जा सकता है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली के तौधकपुर में आपका स्वागत है। योगेश साहू और रजनीश वाजपेयी नाम के दो आईटी प्रोफेशनल की कोशिश की बदौलत इस गांव की तस्वीर बदली हुई नजर आती है। दरअसल इन लोगों ने स्मार्ट गांव नाम से एक मोबाइल एप बनाया है। जिसके जरिये कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र में स्थित इस गांव का संपर्क पूरी दुनिया से हो गया है। इस एप के जरिये किसानों को अपने उपज के लिए बाजार की जानकारी मिलती है। गांव में जो कुछ विकास के काम होते हैं उसे इस एप के जरिये रिकॉर्ड, ट्रैक और मॉनिटर किया जा सकता है। इस एप में गांव की फोन डायरेक्टरी, खबरों के लिए सेक्शन, इवेंट्स की सूची, हेल्थ सेंटर और इनफॉर्मेशन सेंटर मौजूद है।

दरअसल इस एप को इस तरह बनाया गया है ताकि गांव के लोग भी शहरी जिंदगी जी सकें। इस गांव को हाईटेक बनाने का ये रजनीश और योगेश को पीएम मोदी के एक भाषण को सुनने के बाद आया। साल 2015 में अपने अमेरिका दौरे के दौरान पीएम ने सैन जोस सेंटर में एक भाषण में कहा था, “कभी मेरे देश में हमलोग सुना करते थे कि भारत से ब्रेन ड्रेन को रोकने के लिए कुछ करना पड़ेगा, भारत की धरती कई ‘मोती’ पैदा करती है…ये ब्रेन ड्रेन ब्रेन गेन भी बन सकता है।” इस भाषण को सुनने के बाद रजनीश और योगेश ने स्मार्ट गांव एप बनाने की सोची। भारत के गांवों में इंटरनेट का इस्तेमाल हर साल 26 फीसदी बढ़ रहा है। इन दोनों ने इसी को आधार बनाकर एक एप विकसित किया। इस एप ने इस गांव की तस्वीर बदल दी।
इस गांव को स्मार्ट गांव में बदलने में तीन साल का लंबा वक्त लगा। इस दौरान इस गांव के निवासियों, ग्राम प्रधान, डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और रायबरेली के सीडीओ ने काफी मेहनत की। इनकी बदौलत ही इस गांव में डिजिटल क्रांति आ सकी। इस गांव की तस्वीर सफलतापूर्वक बदलने के बाद योगेश और रजनीश ने अब छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के 6 गांवों की तकदीर बदलने की ठानी है।