उत्तरप्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को एमपी/एमएलए कोर्ट ने गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया है। लखनऊ के वजीरगंज थाने में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा सरकारी आदेश की अवहेलना (188) और लोगों का जीवन संकट में डालना (336) के तहत 16 फरवरी 2010 को मुकदमा दर्ज हुआ था। कोर्ट की तारीखों में मंत्री रीता बहुगुणा की अनुपस्तिथि को लेकर कोर्ट ने सख्ती दिखाई और उनके साथ नामजद मीरा सिंह की भी गिरफ्तारी का आदेश जारी किया। हालांकि इस मुकदमे को वापस लेने की अर्जी मौजूदा सरकार द्वारा की गयी।

राजनैतिक पार्टियों के नेताओं द्वारा लगातार कोर्ट के आदेश की अवमानना करने पर इलाहबाद हाइकोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार किया है। ज्ञात हो कि मंत्री रीता बहुगुणा पर लखनऊ के वजीरगंज थाने में सन 2010 में एक मुकदमा दर्ज हुआ था जिसमे विवेचक अरुण कुमार दुबे ने आरोप लगाया कि, उस समय रीता बहुगुणा के इशारे पर पत्थरबाजी हुई थी जिससे सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न हुई थी। उस वक्त रीता बहुगुणा उत्तरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थी।

उक्त मामले को लेकर मंत्री और उनके साथ नामजद मीरा सिंह पर एमपी/एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायधीश पवन कुमार तिवारी ने गिरफ्तारी का आदेश जारी किया है। इसी मामले में पहले से ही सीजेएम कोर्ट लखनऊ द्वारा गिरफ्तारी का आदेश जारी है। इस मुकदमे को वापस लेने के लिए शासन द्वारा एक अर्जी दी गयी है।

इसके अलावा कोर्ट आज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के खिलाफ चल रहे धोखधड़ी केस की सुनवाई करेगा। कोर्ट ने भदोही जिले से बसपा प्रत्याशी रहे रविंद्र त्रिपाठी की गिरफ़्तारी का आदेश दिया है साथ ही मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या को एक मामले में कोर्ट के समक्ष लगातार अनुपस्थित रहने के कारण वारंट जारी किया है।

रीता बहुगुणा पर आरोप है कि, धारा 144 लागू होने के बाद भी उन्होंने लखनऊ के शहीद पथ पर सभा की थी और विधानसभा कूच के दौरान तोड़फोड़, बवाल और आगजनी की घटना हुई थी। इसी मामले में उन पर मुकदमा दर्ज हुआ जिस पर कोर्ट ने उन्हें नियमित अंतराल पर सम्मन भेज कोर्ट के समक्ष उपथित होने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने कोर्ट के आदेशों की लगातार अवहेलना की। जिस कारण विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट ने गैरजमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने हाजिर करने का आदेश जारी किया। जाहिर है कोर्ट की इस सख्ती से राजनितिक दलों में हलचल बढ़ी है।