उत्तर प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल पर योगी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। उन्हें पद से हटा दिया गया है। बताया गया कि पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल पर यह कार्रवाई शासकीय कार्यों की अवहेलना करने, विभागीय कार्यों में रुचि न लेने के चलते हुई है। उन्हें डीजीपी पद से मुक्त करते हुए डीजी नागरिक सुरक्षा के पद पर भेज दिया गया है।
मुकुल गोयल 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। उन्होंने आईआईटी दिल्ली से बीटेक किया और उसके बाद एमबीए किया। वे आजमगढ़ के एसपी और वाराणसी, गोरखपुर, सहारनपुर और मेरठ में एसएसपी के तौर पर भी तैनात रह चुके हैं। सहारनपुर में एसएसपी के तौर पर तैनात रहने के दौरान उन्हें एक बार सस्पेंड भी किया गया था। उन पर ये कार्रवाई बीजेपी विधायक निर्भय पाल सिंह की हत्या के बाद की गई थी।
पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने कहा, “काफी दिनों से ऐसा सुनने में आ रहा था कि उच्चतम स्तर पर लोग उनके (मुकुल गोयल) काम से संतुष्ट नहीं थे। ऐसी चर्चा चल रही थीं कि शायद उनको पद से हटाया जा सकता है। मतलब ये है कि धुंआ तो उठ ही रहा था कि शायद इनके खिलाफ कुछ कार्रवाई होगी। जहां तक मैंने सुना है मुख्यमंत्री इनके काम से खुश नहीं थे। संतुष्ट न होने का उनके पास कोई ठोस कराण रहा होगा, तभी उनको हटाया गया है।”
इन घटनाओं को लेकर गिरी गाज
सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिनों ललितपुर के एक थाने में गैंगरेप की नाबालिग पीड़िता के साथ थानेदार द्वारा रेप, चंदौली में पुलिस की दबिश में कथित पिटाई से युवती की मौत, इसके अलावा प्रयागराज और पश्चिमी यूपी में आपराधिक घटनाएं डीजीपी गोयल को हटाए जाने की प्रमुख वजहें हैं।
पहले भी कई विवादों में मुकुल गोयल का नाम सामने आ चुका है। 2006 में मुलायम सिंह की सरकार के दौरान पुलिस भर्ती घोटाले में उनका नाम आया था, जिसमें अभी याचिका लंबित है। एक मामले में उनको निलंबित भी किया जा चुका है।