उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यह असंभव है कि भारत में पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना का सम्मान हो। उनका यह बयान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में मोहम्मद अली जिन्ना की लगी तस्वीर को हटाने के विवाद के बाद आया है। विवाद के बाद बुधवार (02 मई) को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दो गुटों के बीच झड़प भी हुई थी जिसमें 41 लोगों के घायल होने की खबर है। योगी आदित्यनाथ ने कर्नाटक में चुनाव प्रचार करने जाने के दौरान इंडिया टुडे से कहा, “जिन्ना ने इस देश का बंटवारा करवाया था। हम कैसे उसका सम्मान कर सकते हैं।” उन्होंने कहा, “विवाद के बाद हमने एएमयू में हुई हिंसक झड़प की जांच के आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद हम आवश्यक कार्रवाई करेंगे।” उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मामले में शुक्रवार तक रिपोर्ट आ जाएगी।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक बुधवार को हुए छात्र और पुलिस के बीच हुई झड़प में 28 छात्र और 13 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हंगामा कर रहे छात्रों को शांत कराने के लिए पुलिस ने उन पर आंसु गैस के गोले भी दागे थे। यूनिवर्सिटी के छात्र हिन्दूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं और छात्रों के बीच हुई झड़प के खिलाफ बुधवार को विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारी छात्रों ने उन हिन्दूवादी संगठनों के नेताओं की गिरफ्तारी की मांग की है जिन्होंने अली जिन्ना की तस्वीर हटाने की मांग पर यूनिर्सिटी में हंगामा किया था।

बता दें कि विवाद तब शुरू हुआ जब अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर को चिट्ठी लिखकर पूछा था कि क्या यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है? बीजेपी सांसद ने यह भी पूछा था कि अगर जिन्ना की तस्वीर लगी है तो किस वजह से और कहां लगी हुई है? इसके साथ ही जिन्ना की तस्वीर लगाने का औचित्य भी पूछा था। इसके जवाब में यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता सफी किदवई ने यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर लगाए जाने का बचाव किया और कहा कि चूंकि अली जिन्ना यूनिवर्सिटी के संस्थापकों में थे और स्टूडेंट यूनियन के आजीवन सदस्य थे, इसलिए परंपरा के मुताबिक उनकी तस्वीर लगाई गई है। बतौर किदवई स्टूडेन्ट यूनियन के सभी आजीवन सदस्यों की तस्वीर दीवार पर लगाई जाती है।