27 महीनों बाद जेल से बाहर आए सपा के कद्दावर नेता आजम खान ने कहा कि उनकी समाजवादी पार्टी और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से कोई नाराजगी नहीं है। जेल में गुजारे 27 महीनों और उसके बाद जमानत पर बाहर आने पर आजम ने शायराना अंदाज में कहा, ‘लंबी थी गम की रात, मगर रात ही तो थी। सवेरा तो होना ही था।” आजम खान ने कहा कि जेल के माहौल में उनको बाहर की खबरें नहीं मिल पाती थीं, बहुत ज्यादा पाबंदियां थीं।

सपा नेता ने यूपी तक से बात करते हुए कहा, “जेल प्रशासन जिनसे मुलाकात की इजाजत देता था, उनसे मिल लेते थे। बाकी मेरे ऊपर इसकदर पाबंदियां थीं कि बाहर के हालात के बारे में टिप्पणी करने की हैसियत में नहीं हैं हम। लेकिन इतना है कि जिसने साथ दिया उसका शुक्रिया, जिसकी मजबूरी रही उसका शुक्रिया। कोई गिला नहीं है और कोई शिकवा नहीं है।”

उन सवालों पर कि उनके ‘अपने’ जेल में मिलने नहीं पहुंचे, आजम खान ने कहा, “मेरे अपनों को कल देखा होता तो अंदाजा हो जाता। मेरे अपनों की कोई कमी नहीं है। मुझे तो पहले नंबर पर माफिया कहा गया था। जहां आप बैठे हैं, इस माफिया का यही जीवन है। जेल में रहते मुझे जितने वोट मिले, उतने बाहर रहकर कभी नहीं मिले, शायद इसलिए कि मैं ‘माफिया’ हूं।”

अपने ऊपर दर्ज मुकदमों और अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने के सवाल पर आजम ने कहा, “झूठ बहरहाल, झूठ होता है। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह के फैसले दिए हैं वह अपने आप में इतिहास है। जिस धारा का हवाला देकर मेरी अंतरिम जमानत मंजूर हुई है, आजाद हिंदुस्तान में उसकी पहली मिसाल हूं। क्योंकि मैं विक्टिम हूं और शायद ही हिंदुस्तान की कोई अदालत या न्यायिक अधिकारी हो, जिसके ये सच न मालूम हो।”

आजम खान ने कहा, “उन मुकदमों में 90 फीसदी से ज्यादा तो मेहरबानियां मेरे अपनों की हैं, इस घर को तो घर के चिराग से ही आग लगी है। मुझे तो 20 दिनों में बड़ा अपराधी बना दिया गया।” उन्होंने कहा, “मैं जेल में बहुत छोटी सी कब्र में रहा करता था, उनमें जिनमें अंग्रेज फांसी देने से एक रात पहले बंद किया करते थे।”