लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर आज सपा मुखिया अखिलेश यादव को उन्‍हें श्रद्धांजलि देने जाना था। पर अखिलेश को जेपी नारायण इंटरनेशनल सेंटर के अंदर नहीं जाने दिया गया। जिसके बाद लखनऊ के जेपी नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) के गेट पर सपा कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए। मौके पर खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव मौजूद रहे।

JPNIC का गेट बंद होने पर अखिलेश यादव गेट फांदकर अंदर दाखिल हुए और जय प्रकाश नारायण की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। जानकारी के मुताबिक LDA ने कल शाम ही गेट पर ताला डाल दिया था। गेट फांदकर कोई भी अंदर न जा पाए इसके लिए लोहे की चादर की दीवार भी लगा दी थी। एलडीए ने सुरक्षा कारणों की वजह से अखिलेश को JPNIC में जय प्रकाश की प्रतिमा पर माल्यार्पण कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी थी। अधिकारियों ने केंद्र में निर्माण कार्य का हवाला देते हुए सपा कार्यकर्ताओं को अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

दीवार फांदकर अंदर घुसे अखिलेश

इसके विरोध में बड़ी संख्‍या में सपा कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए। वहीं, JPNIC के बाहर भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। इस बीच मौके पर अखिलेश यादव पहुंचे और गेट फांदकर JPNIC के अंदर चले गए। 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने उन्‍हें रोकने की कोशिश की। टीन शेड की दीवार भी खड़ी थी लेकिन अखिलेश नहीं रुके। करीब आठ फीट ऊंचा गेट फांदकर वे अंदर पहुंच गए। उनके पीछे-पीछे कई अन्य सपाई भी जेपीएनआईसी के अंदर पहुंच गए।

इस घटना के बारे में अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “महान समाजवादी विचारक, सामाजिक न्याय के प्रबल प्रवक्ता लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जयंती पर अब क्या सपा को माल्यार्पण करने से रोकने के लिए ये टिन की चद्दरें लगाकर JPNIC का रास्ता रोका जा रहा है। सच ये है कि भाजपा लोकनायक जयप्रकाश जी के भ्रष्टाचार, बेकारी-बेरोज़गारी और महंगाई के ख़िलाफ़ छेड़े गये आंदोलन की स्मृति को दोहराने से डर रही है क्योंकि भाजपा के राज में तो भ्रष्टाचार, बेकारी-बेरोज़गारी और महंगाई तब से कई गुना ज़्यादा है।”

JPNIC को लेकर सपा और भाजपा में तकरार

सपा प्रमुख ने आगे लिखा, “अब क्या माल्यार्पण के लिए भी जयप्रकाश नारायण जी की तरह ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वान करना पड़ेगा। अगर भाजपा को यही मंज़ूर है तो यही सही।” गौरतलब है कि JPNIC को लेकर सपा और भाजपा सरकार में 2017 से विवाद चल रहा है। सपा के मुताबिक, JPNIC अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था, लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था।