उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए शुक्रवार (23 मार्च) को वोटिंग होनी है। उससे पहले बीजेपी और सपा दोनों पार्टियां रात्रिभोज का आयोजन कर रही हैं ताकि विधायकों को लामबंद रखा जा सके। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनावी रणनीति के लिए आज पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई थी लेकिन बैठक में सिर्फ 40 विधायक ही शामिल हुए। सात विधायक गायब थे। अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव भी बैठक से गायब थे। माना जा रहा है कि शिवपाल समर्थक सभी सात विधायक सपा की बैठक से गायब थे। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के लिए यह खबर राहतभरी हो सकती है क्योंकि गोरखपुर और फूलपुर संसदीय उप चुनाव हारने के बाद बीजेपी राज्य सभा की नौंवी सीट जीतने के लिए रणनीति बना रही है। शिवपाल की गैर हाजिरी अखिलेश के लिए बेचैनी भरी हो सकती है मगर बीजेपी के लिए राहत भरी है क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव के वक्त भी शिवपाल समर्थित सात विधायकों ने एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को वोट दिया था।
बता दें कि 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में बीजेपी और उसके सहयोगियों की कुल सदस्य संख्या 325 है लेकिन एक विधायक की मौत की वजह से फिलहाल यह संख्या 324 है। आठ सांसदों को चुनने के बाद एनडीए के पास 28 वोट सरप्लस होते हैं। अगर सपा के सात बागी विधायक मिल जाएं तो यह आंकड़ा 35 हो जाता है। निषाद पार्टी के एकमात्र विधायक विजय मिश्रा ने पहले ही एलान कर दिया है कि वो बीजेपी उम्मीदवार को वोट करेंगे। विधान सभा में तीन निर्दलीय विधायक हैं। राजा भैया और विनोद सरोज सपा-बसपा खेमे में चले जाएं और तीसरा एनडीए खेमे में तब भी पलड़ा एनडीए का भारी पड़ सकता है। हालांकि, इससे निपटने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी रणनीति बना रहे हैं। पढ़ें- अखिलेश की क्या है रणनीति?
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बता दें कि अमित शाह हर हाल में गोरखपुर और फूलपुर का सियासी बदला राज्यसभा चुनाव में मायावती के उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को हराकर लेना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होंने एक दिन पहले योगी सरकार से खफा चल रहे सुहेलदेव भारत समाज पार्टी के मुखिया और योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर को मनाया है। राजभर के चार विधायक हैं। ऐन वक्त पर रिश्ते बिगड़ने से बीजेपी के नौवें उम्मीदवार की जीत पर संशय के बादल मंडरा सकते थे। उधर, सपा ने कहा है कि सात गायब विधायकों में एक जेल में है, जबकि एक आजम खान और उनके बेटे हैं। गौरतलब है कि बीजेपी ने नौवें उम्मीदवार के तौर पर गाजियाबाद के व्यवसायी अनिल अग्रवाल को उतारा है। ऐसे में क्रॉस वोटिंग और विधायकों की खरीद-फरोख्त से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
