मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गृह जिले इटावा में शराब की लंबी तस्करी होने के बावजूद अभी तक शराब माफियाओं के चेहरे सामने नहीं आ पाए हैं। इस खेल में कौन और कितने ‘रईस’ हैं इस बात का पता नहीं चल पा रहा है। इसके पीछे पुलिस की नाकामी और माफिया से गठजोड़ मुख्य वजह माना जा रहा है। वइटावा के एसएसपी शिवहरी मीना ने कहा कि ‘होली से पहले अभियान चलाकर अवैध शराब का कारोबार पूरी तरीके से खत्म कर दिया जाएगा। किसी भी कीमत पर अवैध शराब जिले में बिकने नहीं दिया जाएगा।’ एसटीएफ की चौकसी से डेढ़ करोड़ से अधिक की शराब बरामद की गई है मगर इससे पहले खपाई जा चुकी तीन खेप के बावजूद शराब के सौदागर अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर बने हुए हैं। जिले में अवैध शराब का कारोबार उतना ही पुराना है जितना की शराब का धंधा। ज्यादा मुनाफे के चक्कर में बड़ी मात्रा में शराब यहां लाई जाती है। हैरानी की बात यह है कि शराब की इतनी बड़ी मात्रा को आसानी से खफा भी दिया जाता है। चंडीगढ़ जैसे प्रदेशों से शराब छोटे-मोटे वाहनों में नहीं बड़े-बड़े ट्रकों में भरकर लाया जाता है मगर शराब पकड़ी जाए तो अवैध शराब है नहीं तो वह वैध का रूप धारण कर लोगों के गले उतर जाती है।
चौबिया और बलरई क्षेत्र में लगभग डेढ़ करोड़ की शराब पकड़े जाने के बाद शराब आबकारी और पुलिस विभाग को एहसास हुआ कि अवैध शराब की कितनी बड़ी मात्रा जिले में लाई जा सकती है। इससे पहले तो किसी को अंदाजा भी नहीं था कि यहां वैध शराब ज्यादा बिकती है या अवैध शराब। हजारों पेटिया पकड़े जाने के बाद पुलिस विभाग और आबकारी विभाग के कान खड़े हो गए हैं। होली से पहले शराब की बढ़ी डिमांड अवैध शराब के धंधे को फलने फूलने में ज्यादा मदद कर रही है। नतीजा यह है कि ज्यादा मुनाफे के लिए शराब की बड़ी खेप को यहां लाया जाता है। अभी हाल के दिनों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। जिसमें अवैध शराब बड़ी मात्रा में प्रयोग किया गया है। यह बात चुनाव के ठीक बाद भरथना में अवैध शराब की फैक्ट्री पकड़े जाने से साबित भी हो जाती है। हालांकि पुलिस और आबकारी विभाग दोनों ने जिले में शराब न आने देने के लिए कमर कस ली है। दावे किए गए हैं कि होली से पहले इस कारोबार को उखाड़ फेंका जाएगा। चुनाव के ठीक बाद 20 फरवरी की रात भरथना क्षेत्र में गांव विरोधी के पास अवैध शराब की फैक्ट्री का भंडाफोड़ हो गया। आबकारी विभाग और पुलिस विभाग को यहां से शराब बनाने की मशीन, बड़ी तादात मे रुपए का केमिकल के अलावा हजारों रैपर ढक्कन और होलोग्राम बरामद हुए पकड़े गए।
अवैध शराब के कारोबार में मुनाफे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां 8 रुपए का र्क्वाटर 65 में बिक जाता है। शराब तस्कर हरियाणा से एक र्क्वाटर को 8 मे लाते हैं और यहां के माफियाओं को 30 में सप्लाई करते हैं फिर वही र्क्वाटर 65 में बिक कर शराब के शौकीनों के हालत में उतर जाता है ऐसा संभव हो पाता है रैपर और होलोग्राम बदलने के कारण।पिछले साल 22 सितंबर की रात इकदिल इलाके के करीब 1000 पेटी गोवा मार्का की शराब पकड़ी गई थी। यह शराब चंडीगढ़ से इटावा में जहर घोलने के लिए लाए जा रही थी। शराब तस्कर सोनू और जगराम ने बताया कि वो 20, 25 दिन में शराब की बड़ी खेप जिले में लाते हैं। उन्होंने बताया कि तीन बार शराब से लदे ट्रक की सप्लाई कर चुके हैं और चौथी बार सप्लाई करने के दरमियान पकड़े गए हैं।
जिला आबकारी अधिकारी कुलदीप सिंह ने बताया कि अवैध शराब का कारोबार करीब 10 फीसद के आसपास है। यानी कि 17 करोड़ रुपए यूपी जिले में 240 लाइसेंस हैं और इनमें से 164 करोड़ का कारोबार होता है। इसलिए आज से अवैध शराब का कारोबार है। होली के त्योहार पर शराब की बिक्री में करीब 15 चिश्ती की बढ़ोतरी हो जाती है।
अवैध शराब पर रोक लगाने के लिए जिले की सीमाओं पर चेकिंग की जाएगी संभावित स्थानों पर लगातार छापेमारी भी होगी। इटावा के एसएसपी शिवहरी मीना ने कहा कि होली से पहले अभियान चलाकर अवैध शराब का कारोबार पूरी तरीके से खत्म कर दिया जाएगा। किसी भी कीमत पर अवैध शराब जिले में बिकने नहीं दिया जाएगा। उधर आबकारी निरीक्षक विकास द्विवेदी का कहना है कि जिले में चुनिंदा स्थानों पर छापा पर छापेमारी की जा रही है साथ ही आगरा बार्डर पर भी विशेष सतकर्ता बरती जा रही है।