अवैध कब्जों व निर्माण और भू-माफियाओं से निपटने में नाकाम हो चुका नोएडा प्राधिकरण अब तकनीक के जरिए इन पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। इसके लिए जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (भौगोलिक सूचना प्रणाली, जीआइएस) पर काम किया जा रहा है। गूगल मैप की तरह जीआइएस के जरिए सेक्टर या गांवों के भूखंड की जानकारी मिल सकेगी। इससे भूखंड के क्षेत्रफल, मालिकाना हक, वर्तमान स्थिति, बकाया, तय भू-उपयोग, अधिग्रहित या मुक्त के अलावा आसपास की लोकेशन की भी जानकारी मिल सकेगी। खास बात यह है कि यह प्रणाली हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में काम करेगी, जिस पर विशेषज्ञ दल काम कर रहा है। तीन महीने के भीतर इस प्रणाली को गूगल से जोड़ने की तैयारी है, जिसके बाद कंप्यूटर या मोबाइल के जरिए भूखंड की पूरी जानकारी हासिल की जा सकेगी।
1976 में बसा नोएडा पिछले करीब एक दशक से भू-माफियाओं से त्रस्त है। प्राधिकरण से मुआवजा ले चुके कई दबंग भू-माफिया अभी भी जमीन पर कब्जा किए बैठे हैं। प्राधिकरण की जमीन पर बहुमंजिला इमारतें बना कर शहर के जल, सीवर, पानी व बिजली के तय ढांचे को ध्वस्त किया जा रहा है। वहीं अधिग्रहित जमीन पर अवैध रूप से बने निर्माणों को ढहाकर अपने कब्जे में लेना भी प्राधिकरण अफसरों के लिए चुनौती साबित हो रहा है। भू-माफिया और अफसरों की साठगांठ रोकने के लिए जीआइएस पर काम किया जा रहा है। जिससे निवेश के इच्छुक लोगों को खाली भूखंडों की जानकारी मिल सकेगी।
प्रणाली पर काम पूरा होने के बाद इसे नोएडा प्राधिकरण की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। नोएडा के मास्टर प्लान-2031 में पूरे शहर के व्यावसायिक, आवासीय, औद्योगिक व संस्थागत भू-उपयोग को पहले से ही सुनिश्चित किया जा चुका है। तय भू-उपयोग के आधार पर प्राधिकरण सेक्टरों और गांवों में खाली पड़े भूखंडों के लिए सर्वे कर सूची तैयार कर रहा है। खाली भूखंड की जानकारी को जीआइएस पर अपलोड किया जाएगा, जिसके बाद कोई भी आबंटी गूगल मैप की तरह शहर का भौगोलिक नक्शा अपने कंप्यूटर या मोबाइल पर देख सकेगा। जानकारों के मुताबिक, शहर में भूखंड की खरीद-फरोख्त में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी होती है। भू-माफिया अधिग्रहित जमीन को कम कीमत पर बेचकर फरार हो जाते हैं और इन्हें खरीदने वालों को प्राधिकरण का नोटिस, जुर्माना या ध्वस्तीकरण झेलना पड़ता है।

