सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के दोनों 40 मंजिला टावरों को तीन माह के भीतर गिराने का आदेश दिया है।रियल स्टेट कंपनी के लिए ये बड़ा झटका है। कोर्ट ने कंपनी को फ्लैट खरीदारों को ब्याज के साथ पैसे वापस करने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में नोएडा स्थित ट्विन टावर को तोड़ने और अथॉरिटी के अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अपील के दौरान रोक लगा दी थी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान नोएडा अथॉरिटी ने कहा था कि प्रोजेक्ट को नियम के तहत मंजूरी दी गई थी। ये भी दलील दी गई कि प्रोजेक्ट में किसी भी ग्रीन एरिया और ओपन स्पेस समेत किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। अधिकारियों ने कोई नियम नहीं तोड़ा है। कानून के तहत प्रोजेक्ट के प्लान को मंजूरी दी गई। वहीं फ्लैट बॉयर्स की ओर से दलील दी गई कि बिल्डर ग्रीन एरिया को नहीं बदल सकता है।
जाली चिट्ठी के आधार पर सुपरटेक ने बेचे फ्लैट
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि घर खरीदारों का पूरा पैसा बुकिंग के वक्त से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाया जाए रेजिडेंट्स वेल्फेयर एसोसिएशन को दो टावरों के निर्माण से हुई परेशानी के लिए दो करोड़ रुपये दिए जाएं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के 11 अप्रैल 2014 के फैसले में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि सुपरटेक के 915 फ्लैट और दुकानों वाले 40 मंजिला दो टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण के साथ सांठगांठ कर किया गया है। हाईकोर्ट का यह फैसला सही था। बेंच ने कहा कि दो टावरों को नोएडा प्राधिकरण और विशेषज्ञ एजेंसी की निगरानी में तीन माह के भीतर गिराया जाए और इसका पूरा खर्च सुपरटेक लिमिटेड उठाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल में उसने देखा है कि मेट्रोपॉलिटन इलाकों में योजना प्राधिकारों के सांठगांठ से अनधिकृत निमार्ण तेजी से बढ़ा है और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। कोर्ट का ये भी कहना था कि ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा देना गलत है जो नियमों को ताक पर रखकर की गई हो और उसमें गलत तरीके इस्तेमाल किए गए हों। सुपरटेक ने ऐसी ही गलती की, लिहाजा ये निर्माण गिराए जाने का फैसला सही है।