मुसीबत आने पर अकसर लोग हालात के सामने टूट जाते हैं। ऐसे समय में खुद को मजबूती के साथ संभाले रखना बड़ी चुनौती होती है। मेरठ के एक शख्स ने खुद पर हत्या के आरोप लगने के बाद ना सिर्फ जेल में पढ़ाई की बल्कि वकालत करने के बाद खुद को निर्दोष भी साबित किया। अमित चौधरी नाम के शख्स पर दो कांस्टेबल की हत्या का आरोप लगा था। उस पर गैंगस्टर एक्ट भी लगाया गया। जिस समय यह घटना हुई अमित अपनी बहन के साथ कहीं और मौजूद था। इसके बाद भी उसे मामले में आरोपी बनाया गया।
क्या है मामला?
मामला मायवती सरकार के कार्यकाल का है। बागपत के किरथल गांव के रहने वाले अमित चौधरी पर दो कांस्टेबल की हत्या का आरोप लगा था। साल 2013 में अमित जमानत पर रिहा हुआ। इसके बाद उसने खुद को निर्दोष साबित करने की लड़ाई शुरू कर दी। अमित के मुताबिक जेल में अनिल दुजाना और विक्की त्यागी जैसे खूंखार गैंगस्टरों ने उसे अपने गैंग में शामिल करने की कोशिश की। अमित के मुताबिक जेलर ने उसे अलग बैरक में जाने दिया। उस बैरक में खूंखार अपराधी नहीं थे जिससे वह अपनी पढ़ाई पूरी कर पाया।
जेल से पूरी की पढ़ाई
अमित के परिवार को उसके जेल जाने के बाद से कई तरह से प्रताड़ना झेलनी पड़ रही थी। इसी को बदलने के लिए अमित ने वकालत करने की ठानी। अमित ने जेल से ही एलएलबी और एलएलएम की परीक्षा पास की। अमित करीब दो साल तक जेल में रहा और इस दौरान उसने सिर्फ पढ़ाई की।
खुद ही लड़ा अपना केस
वकालत पूरी करने के बाद अमित के सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद को निर्दोष साबित करने की थी। अमित ने खुद ही अपना केस लड़ा। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट में अमित इस केस के गवाह के सामने खड़ा था। इसके बावजूद गवाह उसे पहचान नहीं पाया। इससे जज को भी यकीन हो गया कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। इस मामले में कोर्ट का फैसला आया तो अमित की खुशी का ठिकाना वहीं रहा। कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।