मेरठ में एक ऐसी घटना सामने आई है जिसे सुनकर लोगों के मुंह से यही निकलता है, ‘दुनिया में ऐसे भी लोग हैं?’ राजधानी से 85 किलोमीटर दूर सड़क किनारे तीन बोरियों में लिपटी एक नवजात बच्ची मिली। किसी राहगीर ने जब बच्चे के रोने की आवाज सुनी तो बोरियों की परत हटानी शुरू की। लोगों का कहना है कि इसके मा्ता-पिता ने ही बच्ची को मरने के लिए सड़क किनारे लपेटकर फेंक दिया था।
यह घटना मेरठ के थाना परतापुर के शताब्दी नगर की है। देर रात किसी ने झाड़ियों से बच्चे के रोने की आवाज सुनी तो लोगों ने ढूंढना शुरू किया। वहां एक बोरी पड़ी हुई थी। बोरी निकाली गई। जब उसे खोला गया तो एक और बोरी बंधी हुई थी। इसके बाद तीसरी बोरी में कंबल में लिपटा नवजात पड़ा था। लोगों ने तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी दी। नवजात ठंड से ठिठुरा हुआ था। वहीं मौजूद किसी ने कहा, ‘कैसे-कैसे लोग हैं जो इस तरह का काम करते हैं?’ उसे तुरंत पास के अस्पताल में ले जाया गया। अस्पताल के डॉक्टरों ने यह भी बताया कि बच्चा प्री-मेच्योर है लेकिन हेल्दी है।
डॉक्टरों ने बताया कि कुछ समय पहले ही बच्चे का जन्म हुआ था और उसकी नार भी नहीं काटी गई थी। पुलिस ने बताया, ‘मुझे शताब्दी नगर से कॉल मिली थी। जानकारी दी गई कि बोरियों में लिपटी एक बच्ची मिली है। तुरंत टीम वहां के लिए रवाना कर दी गई। बच्ची का इलाज चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची स्वस्थ्य है।’
पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं औऱ घटना की पूरी जांच की जाएगी। पिछले साल उत्तर प्रदेश के बरेली में श्मशान में तीन फीट नीचे घड़े में कैद नवजात बच्ची मिली थी। कचरे के ढेर या फिर झाड़ियों में अकसर बच्चे पाए जाते हैं। इनमें से कई लोग ‘नाजायज’ बच्चों को लोकलाज के भय से मरने के लिए छोड़ देते हैं तो कई लोग लड़की औऱ लड़के में भेदभाव के चलते ऐसी निर्दयता दिखाते हैं। सरकार के तमाम जागरूकता कार्यक्रमों के बावजूद अभी समाज में लिंग को लेकर भेदभाव देखने को मिल रहा है।