उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में भाजपा बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है। पार्टी जहां मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से बच रही है, वहीं वह विभिन्न समुदायों के चार-पांच नेताओं को चुनाव प्रचार में मुख्य रूप से उतारेगी।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि आरएसएस और उसकी सहयोगी संस्थाएं राज्य में चुनाव के हर पक्ष पर हावी रहेंगी। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश को पहले से पांच क्षेत्रों- अवध, कानपुर, गोरखपुर, ब्रज और पश्चिम में बांट दिया है। हर क्षेत्र का अध्यक्ष आरएसएस के बैकग्राउंड वाले बीजेपी नेता को बनाया जाएगा। इसके अलावा एक संगठन महासचिव होगा जो कि सिर्फ संघ से होगा और प्रचार तथ अन्य चुनावी गतिविधियों का नेतृत्व करेगा।
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अगड़ी जातियों के अलावा, पार्टी गैर यादव पिछड़ी जातियों जैसे लोधी और कुर्मी पर फोकस करेगी। बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य को राज्य का अध्यक्ष बनाया है, इसी तरह पार्टी राज्य में दिनेश शर्मा और केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा जैसे नेताओं को ब्राह्मण चेहरों के तौर पर प्रमोट करेगी। दिनेश शर्मा जो कि पार्टी अध्यक्ष बनने के इच्छुक थे, को राज्यसभा सीट ऑफर की गई थी, मगर उन्होंने मना कर दिया। लेकिन सूत्रों के मुताबिक, शिव प्रताप शुक्ला का संसद के उच्च सदन में नामांकन ब्राह्मणों को लुभाएगा।
भाजपा जिन नेताओं को चुनाव प्रचार के दौरान आगे रखने की तैयारी में हैं, उनमें केन्द्रीय मंत्री संजीव बलयान (जाट), मनोज सिन्हा (भूमिहार), राम शंकर कठेरिया (राज्य में पार्टी का दलित चेहरा) और सहयोगी पार्टी ‘अपना दल’ की नेता अनुप्रिया पटेल (कुर्मी) का नाम शामिल हैं। युवा नेता वरुण गांधी का नाम भी चर्चा में हैं, वे जाना-पहचाना चेहरा हैं और युवाओं में मशहूर भी हैं।
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आरएसएस ने राज्य में चुनावी जिम्मेदारी शिव प्रकाश को सौंपी है जो कि राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव (संगठन) हैं। पार्टी उनसे पश्चिम बंगाल जैसा चमत्कार उत्तर प्रदेश में दिखाने की उम्मीद कर रही है। पार्टी और आरएसएस के लोग बूथ स्तर पर भी काम करेंगे। एक वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार, पार्टी सीधे तौर पर दलितों को नहीं रिझाएगी मगर अन्य जातियों के बीच जाकर पार्टी दलितों का समर्थन हासिल करने की कोशिश करेगी।
भाजपा के एक नेता का कहना है, “भाजपा अपने ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे को हाईलाइट करेगी और दलितों व यादवों (जो कि बसपा और सपा का सपोर्ट बेस है) से अपील करेगी। हम दलितों व पिछड़ों तक फायदा पहुंचाने में नाकाम दोनों पार्टियों का खुलासा करेगी। अगड़ी जातियां हमारा सपोर्ट बेस हैं और हमें अन्य जातियों में भी समर्थन जुटाना होगा। दलितों में, वाल्मीकि हमारा समर्थन करते हैं।” नेता ने यह भी जोड़ा कि अगड़ी जातियों और गैर यादव पिछड़ी जातियों के लोगों को टिकट वितरण में प्राथमिकता दी जाएगी।