उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में तकनीक का व्‍यापक इस्‍तेमाल होने जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनावों में भी राजनैतिक दल विभिन्‍न पेशेवरों की मदद लेने को तैयार हैं। कांग्रेस द्वारा चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को कमान सौंपकर राज्‍य में वापसी की उम्‍मीदें बंधती देख सत्‍ताधारी समाजवादी पार्टी ने विदेशी कंसल्‍टेंट को नियुक्‍त किया है। टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, लगातार दूसरी बार सत्‍ता पाने के लिए सपा ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मशहूर पॉलिटिकल कंसल्‍टेंट स्‍टीव जार्डिंग को जिम्‍मेदारी सौंपी है। अमेरिका में डेमोक्रेट्स के लिए चुनाव प्रबंधन और राजनैतिक सलाहकार रहे जार्डिंग सपा को पहले भी विभिन्‍न मुद्दों पर सलाह देते रहे हैं, मगर अब उन्‍हें आधिकारिक तौर पर काम सौंपा गया है। जार्डिंग हार्वर्ड केनेडी स्‍कूल में पब्लिक पॉलिसी पढ़ाते हैं। वह 1980 के दशक से ही प्रचारक, प्रबंधक, राजनैतिक सलाहकार और रणनीतिकार रहे हैं। उनके क्‍लाइंट्स में अमेरिकी राष्‍ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक उम्‍मीदवार हिलेरी क्लिंटन, पूर्व अमेरिकी उप-राष्‍ट्रपति अल गोर और स्‍पेनिश प्रधानमंत्री मैरियानो राजॉय शामिल हैं।

काम संभालने के बाद, जार्डिंग ने सबसे पहले सपा सरकार की कल्‍याणकारी योजनाओं के पब्लिसिटी कैंपेन को फिर से डिजाइन किया। इसी के तहत समाजवादी पेंशन योजना को प्रमोट करने के लिए अभिनेत्री विद्या बालन को लाया गया। टीआेआई से बातचीत में जार्डिंग ने कहा, ”समाजवादी पेंशन स्‍कीम लोगों तक पहुंची है लेकिन लाभ पाने वालों को यह पता ही नहीं कि यह योजना राज्‍य सरकार की है या केन्‍द्र की। इसलिए मैंने मुख्‍यमंत्री (अखिलेश यादव) को सुझाव दिया कि पब्लिसिटी कार्यक्रम और कैंपेन को फिर से डिजाइन किया जाए।” जार्डिंग अपनी टीम के साथ लखनऊ में सपा के चुनाव प्रचार का पूरा खाका खींच रहे हैं। उन्‍होंने दावा किया कि सीएम अखिलेश यादव का ”युवाओं और ग्रामीण इलाकों के लोगों के साथ प्रभावशाली जुड़ाव है आैर वे उन्‍हें विकास के लिए समर्पित व्‍यक्ति के तौर पर देखते हैं।

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अपनी रणनीति के बारे में बात करते हुए जार्डिंग ने कहा कि भारत के सबसे अधिक जनसंख्‍या वाले राज्‍य में एक-समान घोषणा पत्र शायद काम न आए। उन्‍होंने कहा कि मुख्‍यमंत्री को हर विधानसभा क्षेत्र से यह फीडबैक लेना होगा कि स्‍थानीय स्‍तर पर क्‍या किए जाने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा, ”उदाहरण के लिए, गन्‍ने का बकाया पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में एक मुद्दा हो सकता है, लेकिन बुंदेलखंड के लिए यह कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए उन्‍हें विभिन्‍न क्षेत्रों के लिए विभिन्‍न कार्यक्रम बनाने होंगे।”