उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण एवं हज मंत्री मुहम्मद आजम खां ने आज राज्य के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर सूबे में कुछ जगहों पर पुलिस प्रशासन द्वारा मुसलमानों को बकरीद में कुरबानी करने से कथित रूप से रोकने तथा उन्हें परेशान किये जाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि अगर गरीब की कुरबानी और उसकी धार्मिक आस्था का कानून में दायरे में रहते हुए पालन करना जुर्म है तो मांस निर्यात करने वाले बड़े-बड़े कारखानों को भी बंद कर दिया जाना चाहिये।
खां ने पुलिस महानिदेशक जगमोहन यादव को लिखे पत्र में कहा कि बकरीद का पर्व पूरी दुनिया में सम्मान और अपने मालिक के प्रति समर्पण का अनोखा पर्व है लेकिन यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भारत में इस त्यौहार के नाम पर साम्प्रदायिक ताकतें राजनीतिक लाभ लेना चाहती हैं।
उन्होंने कहा कि इस साल कुरबानी को लेकर माहौल खराब करने की पूरी कोशिश की जा रही है। उससे भी ज्यादा फिक्र की बात यह है कि खुद पुलिस प्रशासन एकतरफा कार्रवाई करके कुरबानी करने वालों को भयभीत कर रहा है।
खां ने पत्र में पुलिस महानिदेशक से कहा, ‘‘यह कहां का न्याय है कि प्रशासन द्वारा कुरबानी करने वाले से जबरन बकरे छीन लिये जाएं और ईद-उल-अजहा (बकरीद) के तीन दिन गुजर जाने के बाद उन्हें वापस करने को कहा जाए। यह आपको तय करना है कि लोगों को न्याय संविधान और कानून की रोशनी में मिले। ऐसा ना हो कि इलाके का दारोगा जैसा चाहेगा, उसे वैसा कानून लागू करने की छूट होगी।’’
मालूम हो कि प्रदेश के संतकबीर नगर जिला प्रशासन ने मुसहर गांव में बकरीद पर कुरबानी करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने कुरबानी के लिये लाये गये बकरों को छीन लिया है और बकरीद के तीन दिन गुजर जाने के बाद वापस करने को कहा है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने गत 14 सितम्बर को इस सिलसिले में जिला प्रशासन को नोटिस जारी किया था।
खां ने कहा कि देश और प्रदेश में मांस खाने वालों की संख्या मुसलमानों से कहीं ज्यादा गैर-मुस्लिमों की है। अभी समय है कि पुलिस राज्य मुख्यालय ऐसे उपाय करे जिससे कुरबानी की रस्म अदा करने वाले लोगों को उनके संवैधानिक अधिकार से जबरन वंचित ना किया जा सके।
उन्होंने कहा कि अगर बकरीद के मौके पर पशु की कुरबानी किया जाना गलत है तो बूचड़खाने और लाखों टन मांस का निर्यात करने वाले कारखानों को भी बंद कर दिया जाना चाहिये।

